मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत: कोल्ड्रिफ सिरप मामले में ED की जांच में नए खुलासे
कोल्ड्रिफ सिरप से जुड़ी गंभीर अनियमितताएँ
कोल्ड्रिफ सिरप का निर्माण करने वाली कंपनी पर आरोप है कि इसके उपयोग से मध्य प्रदेश में कम से कम 20 बच्चों की जान गई। जांच में यह बात सामने आई है कि कंपनी ने दवा बनाने के लिए औद्योगिक स्तर के कच्चे माल का उपयोग किया, जिसकी गुणवत्ता की जांच नहीं की गई। यह जानकारी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में उजागर हुई है।
ED ने यह भी बताया कि तमिलनाडु के ड्रग्स कंट्रोल विभाग के अधिकारी, जो आरोपी कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के मालिक जी रंगनाथन के साथ लगातार संपर्क में थे, ने कंपनी का आवश्यक वार्षिक निरीक्षण नहीं किया।
बुधवार को ED ने रंगनाथन और उनके परिवार के सदस्यों के चेन्नई में दो फ्लैटों को अटैच किया।
कफ सिरप कंपनियों की जांच
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को संसद में बताया कि मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद 700 से अधिक कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों की गहन जांच की जा रही है।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, पंढुर्ना और बैतूल जिलों में 26 बच्चों की मौत, जिनमें से अधिकांश की उम्र पांच साल से कम थी, कथित तौर पर कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन के बाद किडनी फेल होने से हुई।
ईडी की कार्रवाई
ED ने यह भी बताया कि तमिलनाडु के औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारी जी रंगनाथन के साथ लगातार संपर्क में थे, लेकिन कंपनी का अनिवार्य वार्षिक निरीक्षण नहीं किया गया।
बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया कि एजेंसी ने रंगनाथन और उनके परिवार से जुड़े चेन्नई में दो फ्लैटों को धनशोधन निरोधक कानून के तहत कुर्क किया है।
ये संपत्तियाँ कोडम्बक्कम में स्थित हैं और इनकी कुल कीमत लगभग 2.04 करोड़ रुपये है। रंगनाथन को मध्य प्रदेश पुलिस ने अक्टूबर में गिरफ्तार किया था।
ED ने आरोप लगाया कि श्रीसन फार्मा ने अपनी निर्माण लागत को कम करने और मुनाफा बढ़ाने के लिए अनुचित व्यापार प्रथाओं का सहारा लिया।
जांच में यह भी पाया गया कि निर्माता ने दवाओं के निर्माण में गुणवत्ता जांच के बिना औद्योगिक स्तर के कच्चे माल का उपयोग किया। ED ने कहा कि ऐसी सामग्री बिना बिल के नकद में खरीदी जा रही थी।