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मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़े के कारण सीटें खाली

मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़े के चलते 90% सीटें खाली रह गई हैं। इस स्थिति ने राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाया है और छात्रों की संख्या में कमी आई है। काउंसलिंग के बाद भी प्रवेश दर में गिरावट आई है, जिससे अस्पतालों में कुशल नर्सिंग स्टाफ की कमी की चिंता बढ़ गई है। जानें इस मुद्दे के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभाव।
 

मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की स्थिति


मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़े के मामले में किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है, लेकिन इस व्यापक धोखाधड़ी ने राज्य की छवि को अन्य राज्यों में नुकसान पहुंचाया है। इसके परिणामस्वरूप, यहां के नर्सिंग कॉलेजों की 90 प्रतिशत सीटें खाली रह गई हैं।


काउंसलिंग के बाद भी सीटों की कमी

अंतिम काउंसलिंग के बाद भी नर्सिंग कॉलेजों में डिग्री और डिप्लोमा के लिए छात्रों की संख्या में कमी आई है। बड़ी संख्या में खाली सीटों के कारण इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) ने प्रवेश की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया है।


प्रवेश दर और पाठ्यक्रम

बीएससी नर्सिंग और जीएनएम (डिप्लोमा) पाठ्यक्रमों में छात्रों की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। वर्ष 2024 में सरकारी और निजी मिलाकर कुल 19,212 सीटों में से केवल 3,030 (16%) सीटों पर ही प्रवेश हुआ था। वहीं, वर्ष 2025 में 22,880 सीटों में से केवल 2,843 (12%) सीटों पर छात्रों ने प्रवेश लिया है।


फर्जीवाड़े का प्रभाव

मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में अन्य राज्यों के छात्र भी प्रवेश लेते हैं। पिछले कुछ वर्षों में हुए फर्जीवाड़े के कारण राज्य की छवि खराब हुई है, जिससे दूसरे राज्यों के छात्र यहां प्रवेश लेने से कतराने लगे हैं। यहां के मूल छात्रों ने भी अब अन्य राज्यों का रुख किया है।


खाली सीटों की स्थिति

राज्य के नर्सिंग कॉलेजों में डिग्री और डिप्लोमा मिलाकर 33,000 सीटों में से चार हजार सीटें अभी भी खाली हैं। नर्सिंग काउंसिल के अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में भी कम प्रवेश हुए हैं। पहले, हर साल 40-45 हजार सीटों पर प्रवेश होता था।


कम प्रवेश से बढ़ी चिंता

कम प्रवेश दर से यह चिंता बढ़ गई है कि सरकारी और निजी अस्पतालों को कुशल नर्सिंग स्टाफ कैसे मिलेगा। सरकारी कॉलेजों में बीएससी नर्सिंग की लगभग 150 सीटें अभी भी खाली हैं। नए अस्पतालों के खुलने के साथ हर साल लगभग 10,000 नर्सिंग स्टाफ की आवश्यकता होती है।