×

मध्य प्रदेश में 15 साल पुरानी बसों के संचालन पर कार्रवाई की तैयारी

मध्य प्रदेश में परिवहन सचिव मनीष सिंह ने 15 साल पुरानी बसों के अवैध संचालन पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने संबंधित आरटीओ को इन बसों की सूची भेजकर जांच करने और अवैध रूप से चल रही बसों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इस निर्णय से बस ऑपरेटरों में असंतोष बढ़ गया है, क्योंकि उनका कहना है कि उनकी बसों के परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट वैध हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है।
 

परिवहन सचिव का निर्देश

परिवहन सचिव मनीष सिंह ने परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा को एक पत्र भेजकर चिंता जताई है कि 15 वर्ष से अधिक पुरानी बसें अब भी अवैध रूप से चल रही हैं। उन्होंने पूछा कि इनकी वैधता समाप्त करने की प्रक्रिया क्यों नहीं की गई है?


आरटीओ को भेजी गई बसों की सूची

सचिव ने इंदौर, रीवा, ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, जबलपुर और सागर के आरटीओ को इन बसों की सूची प्रदान की है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि सभी श्रेणी की बसों की जांच की जाए और यदि कोई बस अवैध रूप से चलती पाई जाती है, तो उसके संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जाए।


जर्जर बसों पर नाराजगी

मनीष सिंह ने मध्य प्रदेश की सड़कों पर चल रही लगभग 900 पुरानी बसों पर नाराजगी व्यक्त की है। ये बसें अब पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं, फिर भी यात्रियों को शहरों के बीच ले जाने का कार्य कर रही हैं। इनमें से लगभग 500 बसें ग्रामीण क्षेत्रों से विभिन्न शहरों के लिए संचालित होती हैं।


तत्काल हटाने के आदेश

सचिव ने विवेक शर्मा को आदेश दिया है कि इन बसों को तुरंत सड़कों से हटाया जाए। इस कार्रवाई से बस ऑपरेटरों में असंतोष बढ़ गया है। जानकारी के अनुसार, सचिव ने इन बसों की जांच और उनके परमिट की वैधता की पुष्टि के निर्देश दिए हैं। सरकार इस मामले में सख्त कदम उठाने की योजना बना रही है।


जबलपुर में खटारा बसों की संख्या अधिक

मनीष सिंह ने आयुक्त विवेक शर्मा को पत्र के साथ इन बसों की सूची भी सौंपी है और त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जबलपुर संभाग में सबसे अधिक जर्जर बसें पाई गई हैं, जबकि रीवा संभाग में सबसे कम हैं।


बस संचालकों की चिंताएं

सरकार के इस आदेश के बाद बस संचालकों में असंतोष देखा जा रहा है। उनका कहना है कि जब उनकी बसों को परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट दिया गया था, तब उनकी उम्र 15 साल पूरी नहीं हुई थी। इसलिए अचानक बसों को बंद करने का निर्णय उनके लिए अव्यवहारिक है। परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में लगभग 35 हजार बसें सड़कों पर चल रही हैं।