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मध्य प्रदेश के गांव में शादी के बाद दुल्हन को विदाई में पहनाए जाते हैं सफेद कपड़े

मध्य प्रदेश के भीमडोंगरी गांव में एक अनोखी परंपरा है, जहां दुल्हन को शादी के बाद सफेद कपड़े पहनाकर विदा किया जाता है। इस परंपरा का पालन आदिवासी समुदाय के लोग करते हैं, जो इसे शुभ मानते हैं। जानें इस परंपरा के पीछे का कारण और कैसे यह अन्य विवाह परंपराओं से भिन्न है।
 

अनोखी विदाई की परंपरा

भारत में विवाह समारोहों में दुल्हन को आमतौर पर लाल रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के भीमडोंगरी गांव में एक अनोखी परंपरा है। यहां, दुल्हन को शादी के बाद विदाई के समय सफेद कपड़े पहनाए जाते हैं। यह परंपरा विशेष रूप से आदिवासी समुदाय में प्रचलित है, जहां माता-पिता अपनी बेटी को विदाई देते समय उसे विधवा की तरह सफेद लिबास में भेजते हैं।


सफेद कपड़ों का महत्व


भीमडोंगरी गांव में, जहां आदिवासी समाज के लोग रहते हैं, शादी की सभी रस्में पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार होती हैं। लेकिन विदाई के समय दुल्हन का लाल जोड़ा उतारकर उसे सफेद कपड़ों में विदा किया जाता है। यह परंपरा केवल दुल्हन तक सीमित नहीं है; शादी में शामिल सभी लोग भी सफेद कपड़े पहनते हैं।


गौंडी धर्म और सफेद रंग


गांव के लोग गौंडी धर्म का पालन करते हैं, जिसमें सफेद रंग को शांति का प्रतीक माना जाता है। उनका मानना है कि सफेद रंग पवित्र होता है और इसमें कोई मिलावट नहीं होती। इसलिए, इस गांव के लोग इसे शुभ मानते हैं।



गौंडी धर्म के अनुयायी अन्य आदिवासी परंपराओं से भिन्न नियमों का पालन करते हैं। यहां शराब का सेवन पूरी तरह से निषिद्ध है। विवाह के दौरान, दुल्हन अपने घर में सात फेरे लेने के बजाय दूल्हे के घर पर भी फेरे लेती है।