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मध्य प्रदेश के असद खान की सनातन धर्म में घर वापसी

मध्य प्रदेश के असद खान ने गंगा में 21 ब्राह्मणों की उपस्थिति में सनातन धर्म में वापसी की। इस प्रक्रिया के दौरान उन्हें 'अथर्व' नाम दिया गया। असद, जो पेशे से इंजीनियर हैं, ने बताया कि उन्हें मंदिरों में जाने में कई बार कठिनाई का सामना करना पड़ा। उनकी घर वापसी की कहानी एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जो उनके आस्था और विश्वास को दर्शाती है। जानें पूरी कहानी में क्या हुआ और असद ने यह निर्णय क्यों लिया।
 

असद खान की घर वापसी की कहानी

सागर


गंगा के बीच में 21 ब्राह्मणों के मंत्रोच्चारण के बीच, मध्य प्रदेश के असद खान ने सनातन धर्म में वापसी की। इस प्रक्रिया के बाद उन्हें 'अथर्व' नाम दिया गया। असद ने सोशल मीडिया के जरिए काशी के ब्राह्मणों से संपर्क किया था।


घर वापसी का अनुष्ठान आलोक योगी द्वारा संपन्न कराया गया, जिसमें पहले असद का शुद्धिकरण किया गया। इसके बाद पूजा के माध्यम से उनकी वापसी की प्रक्रिया पूरी की गई।


अथर्व, जो एक इंजीनियर हैं और सागर जिले के निवासी हैं, ने बताया कि उनका पूरा परिवार इस्लाम का पालन करता है।


शुद्धिकरण के बाद, उन्हें 'अथर्व त्यागी' नाम दिया गया। उन्होंने कहा कि जब वह अपने दोस्तों के साथ महाकाल मंदिर जा रहे थे, तब उन्हें पहचान लिया गया और मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया। इस घटना ने उन्हें काशी के ब्राह्मणों से संपर्क करने के लिए प्रेरित किया।


असद का पृष्ठभूमि


असद खान, जो पेशे से इंजीनियर हैं, ने एमटेक की पढ़ाई की है। उनके परिवार में माता-पिता, एक भाई और एक बहन हैं। असद को हमेशा से हिंदू धर्म में रुचि थी और वह मंदिरों में जाना पसंद करते थे। हालांकि, मुस्लिम होने के कारण उन्हें कई बार मंदिरों में जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ा।


असद बजरंग बली के भक्त हैं। उन्होंने वाराणसी में गंगा नदी में 21 ब्राह्मणों की उपस्थिति में वैदिक विधि से शुद्धिकरण और पूजा करवाई। इस दौरान उनके बाल भी काटे गए और तिलक लगाकर उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया।


असद ने अब अपना घर छोड़ दिया है और अकेले जीवन यापन करने का निर्णय लिया है। उन्होंने 20 रुपए के स्टाम्प पर अपना शपथनामा भी लिखा है।


असद ने कहा कि वह बचपन से मंदिरों में जाते थे, लेकिन बड़े होने पर नाम के कारण उन्हें कई बार असहजता का सामना करना पड़ा।


अथर्व का शपथनामा


मैंने आज काशी में अस्सी घाट पर पंचगव्य स्नान कर मुस्लिम से सनातन हिन्दू धर्म ग्रहण किया।
मैं पूर्ण आस्था के साथ घर वापसी कर रहा हूं। काशी के विद्वान पंडा और पुरोहितों के पावन सानिध्य में पूरा कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
मैं छोर कर्म कर पंचगव्य से गंगा स्नान करके 21 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा पवित्र किया गया हूं।
मैंने हवन पूजन कर बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन किए, फिर शिवलिंग पर अभिषेक कराया।
मुझे विधि विधान से अथर्व त्यागी नाम दिया गया। मैं अपना मजहब त्याग कर आया हूं। इसलिए आज से त्यागी हो गया। मेरा गौत्र कश्यप है।
मेरी निजी जानकारी में सब सच व सही है। कोई बात झूठ व छिपाई नहीं गई है।


पूजन कराने वाले आलोक योगी ने बताया कि घर वापसी से पूर्व शुद्धिकरण संस्कार किया गया। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा कर नामकरण हुआ। यह पूरी प्रक्रिया शास्त्रीय विधि के अनुसार संपन्न कराई गई।


अथर्व ने कहा कि वह अपनी इच्छा से सनातन धर्म में घर वापसी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बड़े होने के बाद नाम के कारण कई बार मंदिरों में प्रवेश में असहजता का सामना करना पड़ा।