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मधुबन विधानसभा सीट पर चुनावी मुकाबला: भाजपा और राजद के बीच टक्कर

बिहार की मधुबन विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा और राजद के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। 11 नवंबर को होने वाले मतदान में 8 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। जानें इस सीट का राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनावों में हुए बदलावों के बारे में। क्या एनडीए अपने 20 साल के दबदबे को बनाए रख पाएगा? पढ़ें पूरी जानकारी।
 

मधुबन विधानसभा सीट की स्थिति

बिहार के मधुबन विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी मुकाबला काफी रोचक हो गया है। पूर्वी चंपारण जिले में स्थित यह सीट शिवहर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसे एक महत्वपूर्ण सीट माना जाता है। यहां भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है। 1957 के बाद से मधुबन सीट ने बिहार में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तनों का साक्षी बना है। यह क्षेत्र गंगा मैदान का हिस्सा है, जो अपनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और उपजाऊ भूमि के लिए जाना जाता है। मधुबन में मतदान 11 नवंबर को होगा।


उम्मीदवारों की सूची

इस बार मधुबन विधानसभा सीट पर कुल 8 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा विधायक राणा रंधीर को फिर से टिकट दिया है, जबकि राष्ट्रीय जनता दल ने संध्या रानी पर भरोसा जताया है। जन सुराज पार्टी की ओर से शिव शंकर राय चुनावी दौड़ में शामिल हैं। एनडीए के लिए यह चुनौती है कि वह अपने 20 साल पुराने प्रभाव को बनाए रख सके।


पिछले चुनावों का विश्लेषण

2005 के बाद से मधुबन विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है। यह एनडीए गठबंधन का एक मजबूत गढ़ बन गया है। जेडीयू ने 2005 और 2010 में यहां जीत हासिल की, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 2015 और 2020 में इस सीट पर विजय प्राप्त की। लगातार दो बार जीतने के कारण भाजपा की स्थिति यहां मजबूत हुई है।




मधुबन विधानसभा क्षेत्र में यादव, किसान, ब्राह्मण और अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या अधिक है। बिहार में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 7.43 करोड़ है, जिसमें करीब 3.92 करोड़ पुरुष और 3.50 करोड़ महिला मतदाता शामिल हैं। पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या लगभग 14 लाख है।