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मणिपुर में आतंकियों का हमला: सेना के दो जवान शहीद

मणिपुर में हाल ही में आतंकवादियों ने सेना पर हमला किया, जिसमें दो जवान शहीद हो गए और पांच अन्य घायल हुए। यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया दौरे के बाद हुई है, जिसने राज्य में शांति और विकास का आश्वासन दिया था। हमले के बाद सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान शुरू किया है। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

मणिपुर में फिर से हिंसा का उभार

मणिपुर में सेना पर आतंकियों का हमला

मणिपुर में एक बार फिर से हिंसा की लहर देखने को मिली है। आतंकवादियों ने अफस्पा (AFSPA) मुक्त क्षेत्र में सुरक्षा बलों को निशाना बनाया। अज्ञात हमलावरों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर असम राइफल्स की टुकड़ी पर अचानक हमला कर दिया। इस हमले में दो जवान शहीद हो गए, जबकि पांच अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर का दौरा कर राज्य में शांति और विकास का आश्वासन दिया था, लेकिन इस घटना ने स्थिति पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं.

यह हमला 19 सितंबर 2025 की शाम लगभग 5:50 बजे हुआ। 33 असम राइफल्स का दस्ता नाम्बोल सबल लेईकाई क्षेत्र से गुजर रहा था, जो कि अफस्पा मुक्त क्षेत्र है। अंधेरे में अज्ञात आतंकवादियों ने अचानक ऑटोमैटिक हथियारों से फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में नायब सूबेदार श्याम गुरुंग और राइफलमैन रंजीत सिंह कश्यप शहीद हो गए, जबकि पांच जवान घायल हुए। घायलों को इम्फाल के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है. इस हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी संगठन ने नहीं ली है.

हमले के तुरंत बाद सुरक्षा बलों ने क्षेत्र को घेर लिया और आतंकवादियों की खोज शुरू कर दी। सेना ने हमलावरों को पकड़ने या मार गिराने के लिए तलाशी अभियान जारी रखा है। असम राइफल्स के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेरा ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।

पीएम मोदी के दौरे के बाद मणिपुर की शांति पर सवाल

यह हमला उस समय हुआ है जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर का दौरा किया था, जहां उन्होंने चुराचांदपुर में 7000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन किया और मणिपुर को शांति और विकास का प्रतीक बनाने का वादा किया था। लेकिन दौरे के कुछ ही दिनों बाद हुई यह आतंकी घटना राज्य में शांति बहाल करने के प्रयासों पर सवाल खड़े करती है.