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मढ़ौरा रेल इंजन कारखाना: गिनी के लिए पहली खेप रवाना

मढ़ौरा स्थित रेल इंजन कारखाने ने गिनी के लिए 4500 हार्स पॉवर के इंजनों की पहली खेप रवाना की है। इस कारखाने का निर्माण 2015 में शुरू हुआ था और अब तक 700 इंजनों का निर्माण किया जा चुका है। यहां की उत्पादन प्रक्रिया और आर्थिक योगदान के बारे में जानें। यह कारखाना बिहार में निजी निवेश का एक प्रमुख उदाहरण है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रहा है।
 

गिनी के लिए निर्यातित इंजन

मढ़ौरा स्थित रेल इंजन कारखाने ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। यहां निर्मित इंजन अब अफ्रीकी देश गिनी की पटरियों पर चलने के लिए तैयार हैं। चार इंजनों की पहली खेप हाल ही में गिनी के लिए भेजी गई है। 'मेक इन इंडिया' के तहत निर्यात किए जा रहे इन इंजनों का नाम 'कोमो' रखा गया है। गिनी का एक प्रतिनिधिमंडल इस साल मई-जून में कारखाने का दौरा कर चुका है, जिसके दौरान 140 लोकोमोटिव इंजनों के निर्यात के लिए 3 हजार करोड़ रुपये का समझौता हुआ था। अब, दो महीने के भीतर पहली खेप भेजी जा रही है, और जल्द ही अन्य खेपें भी भेजी जाएंगी।


इंजनों की क्षमता और निर्माण प्रक्रिया

4500 हार्स पॉवर की क्षमता
गिनी के लिए निर्यात किए जा रहे इन इंजनों की क्षमता 4500 हार्स पॉवर है। मढ़ौरा रेल कारखाने का निर्माण अक्टूबर 2015 में शुरू हुआ था, और यहां से उत्पादन 2018 से प्रारंभ हुआ। वर्तमान में, यहां औसतन हर दो दिन में एक लोकोमोटिव इंजन तैयार किया जाता है। इस फैक्ट्री में 2000 से अधिक पिलर हैं, और इसकी चारदीवारी 4.6 किमी लंबी है। इसके निर्माण में 4500 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया है। फैक्ट्री के अंदर 4.8 किमी सड़क और 1.8 किमी रेल पटरी का निर्माण किया गया है, और यहां 10,000 से अधिक श्रमिक काम कर रहे हैं।


इंजनों का रंग और विशेषताएँ

नीले रंग में निर्यात
इस कारखाने से 4500 हार्स पॉवर वाले इंजनों का निर्माण हो रहा है, और भविष्य में 6000 हार्स पॉवर तक के इंजनों का निर्माण करने की योजना है। भारत में सप्लाई होने वाले इंजनों का रंग लाल और पीला होता है, जबकि गिनी के लिए निर्यात किए जाने वाले इंजनों का रंग नीला रखा गया है। सभी इंजनों के कैब एयरकंडीशंड हैं, और इनमें इवेंट रिकॉर्डर, लोको कंट्रोल, विशेष ब्रेक सिस्टम जैसे उपकरण शामिल हैं। यहां 1528 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनमें से 99 प्रतिशत बिहार के निवासी हैं।


निर्माण की उपलब्धियाँ

700 इंजनों का निर्माण
मढ़ौरा रेल इंजन कारखाने ने 2018 से अब तक 700 इंजनों का निर्माण किया है, जिसमें औसतन 100 इंजनों का निर्माण प्रतिवर्ष होता है। पिछले नौ वर्षों में यहां 250 से अधिक रेल इंजनों का रखरखाव किया गया है। यह कारखाना बिहार में निजी निवेश का एक प्रमुख उदाहरण है, जिसमें रेल मंत्रालय की 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि 76 प्रतिशत हिस्सेदारी अंतरराष्ट्रीय कंपनी वेबटेक की है। इस प्लांट में 800 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जो आने वाले वर्षों में 3000 करोड़ रुपये तक बढ़ने की संभावना है।


आर्थिक योगदान

बिहार को जीएसटी का लाभ
इस रेल इंजन कारखाने से बिहार को प्रति वर्ष 900 करोड़ रुपये की जीएसटी प्राप्त होती है, जो केंद्र सरकार के खाते में भी जाती है। कंपनी का वार्षिक ऊर्जा बिल 50 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके खुलने से आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है, जिसमें 3 होटल, 7 रेस्टोरेंट, 6 स्कूल, 3 बैंक और 6 एटीएम जैसी सुविधाएं शामिल हैं। पिछले 50 वर्षों में वाराणसी रेल इंजन कारखाने से केवल 15 से 20 इंजनों का निर्यात हुआ है, जबकि मढ़ौरा से अकेले गिनी को 140 इंजनों का निर्यात किया जा रहा है।