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मकरध्वज: आयुर्वेद की अद्भुत औषधि के लाभ और उपयोग

मकरध्वज एक अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि है, जो अनेक रोगों के उपचार में सहायक मानी जाती है। इसके सेवन से शक्ति में वृद्धि, वजन बढ़ाने और नपुंसकता के उपचार में मदद मिलती है। यह औषधि सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए लाभकारी है। जानें इसके लाभ, सेवन की विधि और खरीदने के सुझाव इस लेख में।
 

मकरध्वज की विशेषताएँ


मकरध्वज एक अत्यंत प्रभावशाली आयुर्वेदिक औषधि है, जो अनेक रोगों के उपचार में सहायक मानी जाती है। कई चिकित्सकों ने इसकी प्रभावशीलता को स्वीकार किया है। इसके सेवन से कई जीवों को मृत्यु के कगार से बचाया जा सकता है। विशेष रूप से बंगाली चिकित्सक इसका अधिक उपयोग करते हैं।


मकरध्वज के लाभ


  • मकरध्वज का सेवन करने से व्यक्ति की शक्ति में वृद्धि होती है। यह हृदय और मस्तिष्क को ताजगी प्रदान करता है।

  • यह औषधि वजन बढ़ाने में भी सहायक है और बल, वीर्य, और पुरुषार्थ के लिए अत्यंत लाभकारी है।

  • यह नपुंसकता और शीघ्रपतन के लिए भी एक अद्भुत उपचार है।

  • मकरध्वज का सेवन सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए फायदेमंद है।


मकरध्वज के सेवन की विधि

➡ भैषज्य रत्नावली में उल्लेखित:
एतदभ्यासतश्चैव जरामरण नाश्नामः
अनुपान विधानेन निहन्ति विविधान गदान
अर्थात – इसके सेवन से बुढापा दूर होता है और आकस्मिक मृत्यु की संभावना कम होती है।


➡ मकरध्वज के लाभकारी अनुपान:



  1. नए बुखार में अदरक का रस या परवल का रस और शहद।

  2. मियादी बुखार में पान का रस या शहद।

  3. सन्निपात में ब्राह्म रस के साथ।

  4. निमोनिया में अडूसे का रस और शहद।

  5. मोतीझरा में शहद और लौंग का काढ़ा।

  6. मलेरिया बुखार में करंज का चूर्ण और शहद।

  7. पुराने बुखार में पीपल का चूर्ण या शेफाली का रस और शहद।

  8. ज्वारातिसर में शहद और सौंठ का पानी।

  9. आंव के दस्तों में बिल्व (बेल) की गिरी का चूर्ण और शहद।

  10. खून के दस्त में कुडे की छाल का काढ़ा और शहद।

  11. पतले दस्त में जीरे का चूर्ण और शहद।

  12. पुराने दस्त में चावल का धोवन और शहद।

  13. संग्रहणी में जीरा का चूर्ण और शहद।

  14. बवासीर में जिमीकंद का चूर्ण या निमोली का चूर्ण और शहद।

  15. खूनी बवासीर में नागकेशर का चूर्ण और शहद।

  16. हैजे में प्याज का रस और शहद।

  17. कब्जियत में त्रिफला का पानी और शहद।

  18. अम्लपित्त में आंवले का पानी और शहद।

  19. पांडू (पीलिया) में पुराने गुड़ के साथ।

  20. राजयक्ष्मा में सितोपलादि चूर्ण, गिलोय का सत्व अथवा बासक (अडूसे) का रस और शहद।

  21. खांसी में कंटकारी का रस या पान का रस और शहद।

  22. दमे में बेल के पत्तों का रस या अपामार्ग का रस और शहद।

  23. स्वरभंग में मुलेठी चूर्ण और शहद।

  24. अरुचि में निम्बू का रस और शहद।

  25. मिर्गी में बच का चूर्ण और शहद।

  26. पागलपन में कुष्मांडाव्लेह या ब्राहम रस और शहद।

  27. वातव्याधि में अरंड की जड़ का रस और शहद।

  28. वातरक्त में गिलोय का रस और शहद।

  29. आमवात में शहद से खाकर ऊपर से सने, बड़ी हरड़ और अमलतास का काढ़ा लें।

  30. वयुगोले में भुनी हुई हींग का चूर्ण और गर्म पानी।

  31. हृदय रोग में अर्जुन की छाल का चूर्ण और शहद।

  32. मूत्रकच्छ और मुत्रघात में गोखरू का काढ़ा और शहद।

  33. सुजाक में जवाखार और गर्म पानी।

  34. पथरी में कुल्थी की दाल का काढ़ा और शहद।

  35. प्रमेह (धातु स्त्राव) में कच्ची हल्दी का रस या आंवले का रस अथवा नीम गिलोय का रस और शहद।

  36. मधुमेह में जामुन की गुठली का चूर्ण और शहद।

  37. दुर्बलता में असगंध का चूर्ण और शहद।

  38. उदर रोग और शौथ में शहद और शुद्ध रेंडी का तेल।

  39. गर्मी में अनंतमूल का काढ़ा और शहद।

  40. शीतला (चेचक) में करेले की पत्ती का रस और शहद।

  41. मुख रोग में गिलोय का रस और शहद।

  42. रक्तप्रदर में अशोक की छाल का चूर्ण या उससे पकाया हुआ दूध और शहद।

  43. सफेद प्रदर में चावल का धोवन (मांड) या राल का चूर्ण और शहद।

  44. सूतिका रोग में शहद और दशमूल का काढ़ा।

  45. नाड़ी छूटने पर तुलसी का रस और शहद।

  46. कफ रोग में अदरक का रस और शहद।

  47. पित्त रोग में शहद, सौंफ और धनिये का पानी।

  48. ताकत बढ़ाने के लिए वेदाना का रस, मलाई मक्खन, अंगूर का रस, शतावर का रस या पान का रस और शहद।

  49. स्तंभक शक्ति के लिए माजूफल तथा जायफल का चूर्ण और शहद।


मकरध्वज की खरीददारी और सेवन की मात्रा

➡ विशेष:



  • मकरध्वज की गुणवत्ता के कारण यह थोड़ी महंगी होती है। इसे खरीदते समय बैद्यनाथ कंपनी की मकरध्वज लेना बेहतर होता है।


➡ सेवन की मात्रा:



  • मकरध्वज की मात्रा आधी रत्ती से एक रत्ती (62 से 125 मि. ग्रा.) तक हो सकती है।


➡ सिद्ध मकरध्वज:



  • यह विशेष रूप से राजा-महाराजाओं और धनी व्यक्तियों द्वारा उपयोग की जाती है।

  • सिद्ध मकरध्वज विशेष रूप से शक्तिशाली होती है और इसके सेवन से अनेक रोगों का उपचार संभव है।