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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा चुनाव में वोट चोरी के गंभीर आरोप लगाए

कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में वोट चोरी के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने मतदान के आंकड़ों में अनियमितता दिखाई है, जिससे लोकतंत्र पर सवाल उठता है। इसके अलावा, बादशाहपुर सीट पर बीजेपी द्वारा 74,062 वोट चुराने का आरोप भी लगाया गया है। जानें पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव के बारे में।
 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आरोप


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में 25 लाख वोटों की चोरी हुई है, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया है। राहुल के आरोपों के बाद, कांग्रेस के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि असल में वोट चोरी नहीं हुई, बल्कि हरियाणा की सरकार ने ही धोखाधड़ी की है।


हुड्डा ने बताया कि चुनाव आयोग ने मतदान के दिन 61.19% मतदान का आंकड़ा प्रस्तुत किया, लेकिन 6 नवंबर को यह आंकड़ा 65.65% और 7 अक्टूबर को 67.9% तक पहुंच गया। उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी तेजी से वोट कैसे बढ़ गए?


हुड्डा ने यह भी कहा कि हर विधानसभा में औसतन 15175 वोट बढ़ाए गए हैं, जो एक गंभीर मुद्दा है। यह केवल हरियाणा का नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र का मामला है।


बादशाहपुर सीट पर वोट चोरी के आरोप

74,000 वोट ‘चुराकर बीजेपी ने बादशाहपुर सीट जीती: कांग्रेस


कांग्रेस के गुरुग्राम ज़िला अध्यक्ष वर्धन यादव, जिन्होंने 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बादशाहपुर सीट से चुनाव लड़ा, ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने 74,062 वोट चुराकर यह सीट जीती।


यादव ने कहा कि बादशाहपुर सीट पर बीजेपी ने पांच तरीकों से वोटों की चोरी की। इनमें 11744 फर्जी मतदाता, 7437 फर्जी और अमान्य पते, 59044 मतदाता जिनका एक ही पता था, 1234 गलत तस्वीरें और 353 मतदाता जिनकी आयु गलत थी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह सब उन्होंने 8 महीने की जांच के बाद पता लगाया और राहुल गांधी को इस मामले की जानकारी दी।


कांग्रेस की स्थिति

बैलेट पेपर की गिनती में कांग्रेस थी आगे


भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चुनाव आयोग से निष्पक्षता से काम करने की अपील की, लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने बैलेट पेपर की गिनती में 73 सीटों पर बढ़त बनाई थी, लेकिन ईवीएम की गिनती में पीछे रह गई। पिछले पांच चुनावों के परिणामों के अनुसार, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। यह लड़ाई केवल कांग्रेस की नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान की भी है।