×

भारतीय सेना की तैयारी: पाकिस्तान को सख्त जवाब देने की योजना

भारतीय सेना ने पाकिस्तान को सख्त जवाब देने की योजना बनाई है, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर और आगामी एक्सरसाइज राम प्रहार शामिल हैं। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने दुश्मन की हरकतों के प्रति कड़ी चेतावनी दी है। इसके साथ ही, सेना ने स्वदेशीकरण अभियान के तहत विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करने में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है। जानें इस रणनीति के पीछे के कारण और भारतीय सेना की ताकत में वृद्धि के बारे में।
 

पाकिस्तान को मिला सबक

पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक महत्वपूर्ण सबक सीखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि यदि पाकिस्तान ने भविष्य में कोई ऐसी हरकत की, तो उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा। भारतीय सेना ने फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि दुश्मन ने कोई गलत कदम उठाया, तो इस बार प्रतिक्रिया पहले से कहीं अधिक कठोर होगी।


एक्सरसाइज राम प्रहार की तैयारी

वेस्टर्न कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने बताया कि मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने दुश्मन को भारी नुकसान पहुँचाया है। अब ‘एक्सरसाइज राम प्रहार’ इसी कड़े जवाब की तैयारी के लिए आयोजित की जा रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत पाकिस्तान की अगली हरकत का गंभीर जवाब देने के लिए तैयार है।


अगली प्रतिक्रिया होगी और भी सख्त

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने कहा, "हमें पता है कि दुश्मन कुछ भी कर सकता है, जिसके लिए हमें दूसरा ऑपरेशन शुरू करना पड़ सकता है। लेकिन हमारी नेतृत्व ने जो कहा है, मैं उसे दोहराता हूं, यदि दुश्मन ने गलत किया, तो हमारा जवाब पहले से कहीं अधिक कठोर होगा। राम प्रहार अभ्यास इसी जवाब की तैयारी है। उन्होंने हरिद्वार के पास हुए इस बड़े सैन्य अभ्यास की सफलता के लिए मां गंगा का आशीर्वाद भी मांगा।


सेना की ताकत में वृद्धि

सेना ने शुक्रवार को एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि की घोषणा की है। ईयर ऑफ टेक्नोलॉजी अब्जॉर्प्शन के तहत, सेना विदेशी हथियारों पर अपनी निर्भरता को कम करने में सफल हो रही है। अब तक 60 से अधिक बड़े हथियारों के हिस्सों और 1050 से अधिक स्पेयर पार्ट्स का निर्माण देश में किया जा चुका है। इसके अलावा, 1035 नए हिस्से और 3517 स्पेयर पार्ट्स भी देश में बनाए गए हैं। यह कदम भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा, जिससे भारत अपने रक्षा निर्माण के लिए पश्चिमी और रूस जैसे देशों पर निर्भर नहीं रहेगा।