भारतीय समाज में बढ़ते हत्याकांड: क्या हैं इसके कारण?
हनीमून हत्याकांड: एक गंभीर मुद्दा
इंदौर में राजा रघुवंशी और सोनम के बीच हुई हनीमून हत्याकांड केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर समस्या का संकेत है जो भारतीय समाज में बढ़ती जा रही है। आज सोनम आरोपी है, कल मुस्कान को भी इसी तरह के आरोपों का सामना करना पड़ा था। क्या भविष्य में कोई और महिला इसी तरह की स्थिति में होगी? यह सोचने वाली बात है कि महिलाएं अपने ही पति का जीवन क्यों समाप्त कर रही हैं।
सवाल यह भी है कि करवा चौथ और हरितालिका तीज जैसे व्रत रखने वाली महिलाएं अपने पतियों की हत्या क्यों कर रही हैं? यह आश्चर्यजनक है कि सावित्री-सत्यवान की परंपरा वाले देश में पति की हत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। क्या सोनम या मुस्कान पर किसी का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है? क्या शिक्षा प्रणाली में कमी इस पतन का कारण है?
सामाजिक और सांस्कृतिक कारक
क्या घटिया टीवी सीरियल, वेब सीरीज और नशीले पदार्थों का इन घटनाओं में योगदान है? यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत में माता सीता से लेकर गार्गी और मैत्रेयी तक कई महान माताओं का जन्म हुआ, लेकिन इन्हें शिक्षा प्रणाली में स्थान नहीं दिया गया। इसी तरह, राजा भरत से लेकर विक्रमादित्य तक के महापुरुषों को भी पाठ्यक्रम से बाहर रखा गया है। यह गुलामी की शिक्षा का परिणाम है, जो इस तरह की घटनाओं को जन्म देती है।
इसलिए, हमें केवल सोनम और मुस्कान पर आरोप लगाने के बजाय उन परिस्थितियों पर ध्यान देना चाहिए जो ऐसी घटनाओं का कारण बन रही हैं।
उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता की राय
इस मुद्दे पर, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और पीआईएल मैन के रूप में जाने जाने वाले अश्विनी उपाध्याय ने कई महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं। उन्होंने न केवल मेघालय में हुई घटनाओं के मूल कारणों को उजागर किया है, बल्कि इस बढ़ती समस्या का समाधान भी प्रस्तुत किया है।