भारतीय वायुसेना की नई ताकत: मेटियोर मिसाइलों की खरीद से बढ़ेगी सुरक्षा
भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ सफल 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद अपनी हवाई शक्ति को और मजबूत करने का निर्णय लिया है। इसके तहत, मेटियोर एयर-टू-एयर मिसाइलों की एक बड़ी खेप खरीदने की योजना बनाई जा रही है। यह खरीद रक्षा मंत्रालय के अंतिम चरण में है और जल्द ही उच्चस्तरीय बैठक में इसे मंजूरी मिल सकती है। ये मिसाइलें 200 किलोमीटर से अधिक की रेंज में दुश्मन के विमानों को नष्ट करने की क्षमता रखती हैं।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की निर्णायक कार्रवाई
भारत ने मई 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत की। यह अभियान 6 से 10 मई तक चला, जिसमें भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सैन्य और आतंकवादी ठिकानों पर प्रभावी हमले किए। भारतीय लड़ाकू विमानों ने लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग किया, जिससे पाकिस्तान को युद्धविराम के लिए मजबूर होना पड़ा।
मेटियोर मिसाइलों की विशेषताएँ
मेटियोर मिसाइलें यूरोपीय कंपनी MBDA द्वारा विकसित की गई हैं और इन्हें दुनिया की सबसे उन्नत एयर-टू-एयर मिसाइलों में से एक माना जाता है।
- रेंज: 200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक लक्ष्य को भेदने की क्षमता।
- रैमजेट इंजन: यह साधारण मिसाइलों की तुलना में तेज गति (4939 किमी/घंटा) और लंबी उड़ान प्रदान करता है।
- स्मार्ट तकनीक: यह रडार और सेंसर के माध्यम से दुश्मन को ट्रैक करती है, यहां तक कि जैमिंग के दौरान भी।
- फायदा: पायलट को दुश्मन के करीब जाने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे सुरक्षित दूरी से हमला किया जा सकता है।
पाकिस्तान की चुनौती और भारत की तैयारी
पाकिस्तानी वायुसेना ने हाल के वर्षों में चीन से PL-15 जैसी मिसाइलों की बड़ी संख्या में खरीद की है। ऑपरेशन सिंदूर में इनका उपयोग किया गया, लेकिन ये असफल रहीं। भारत अपनी वायुसेना को मजबूत BVR क्षमता प्रदान कर रहा है ताकि दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
इसके अलावा, DRDO द्वारा विकसित अस्त्र Mk-2 मिसाइलों की भी खरीद की जाएगी, जो Su-30 MKI और LCA विमानों पर लगाई जाएंगी।
सुरक्षा रणनीति का महत्व
यह खरीद केवल पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि चीन जैसे अन्य खतरों के खिलाफ भी महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, जल्द ही इस खरीद को मंजूरी मिलने की संभावना है, जिससे भारतीय वायुसेना की एयर डोमिनेंस में वृद्धि होगी।