भारतीय वायु सेना की एस-400 प्रणाली: एक नई वायु रक्षा क्रांति
भारतीय वायु सेना ने अपनी एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की पहली तस्वीर जारी की है, जो देश की हवाई सुरक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है। इस प्रणाली को 'सुदर्शन' नाम दिया गया है और यह विभिन्न हवाई खतरों का सामना करने के लिए डिज़ाइन की गई है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसकी प्रभावशीलता ने इसकी क्षमता को सिद्ध किया है। जानें इस प्रणाली की विशेषताएं और भारतीय वायु सेना की सुरक्षा में इसका महत्व।
Dec 29, 2025, 16:38 IST
भारतीय वायु सेना की नई उपलब्धि
भारतीय वायु सेना (IAF) अपनी सैन्य क्षमताओं को निरंतर विकसित कर रही है, और एस-400 वायु रक्षा प्रणाली इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है। हाल ही में, IAF ने एस-400 प्रणाली की पहली छवि जारी की है, जो भारत की वायु रक्षा तैयारियों में आए महत्वपूर्ण परिवर्तनों को दर्शाती है। इस अत्याधुनिक प्रणाली से देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, और इसे भारत की वायु रक्षा संरचना में एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
एस-400 प्रणाली का नामकरण
एस-400 वायु रक्षा प्रणाली को 'सुदर्शन' नाम दिया गया है। इस उन्नत सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के समावेश से भारतीय वायु सेना के वायु रक्षा अभियानों में एक क्रांतिकारी बदलाव आया है, जिससे आधुनिक हवाई खतरों से अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा करने की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
एस-400 की विशेषताएं
एस-400 की विशेषताएं क्या हैं?
एस-400 सुदर्शन को विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों का पता लगाने, उनका पीछा करने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें लड़ाकू विमान, मानवरहित हवाई वाहन (UAV), क्रूज मिसाइलें और बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं। इसकी बहुस्तरीय भेदन क्षमता और उच्च सटीकता के साथ, यह प्रणाली विश्व के सबसे शक्तिशाली वायु रक्षा प्लेटफार्मों में से एक मानी जाती है।
ऑपरेशन सिंदूर में प्रदर्शन
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस प्रणाली की परिचालन क्षमता का प्रदर्शन हुआ, जहां इसने सफलतापूर्वक दुश्मन के वास्तविक लक्ष्यों को निशाना बनाया। इन हमलों ने एस-400 प्रणाली की मजबूती और भारतीय वायु सेना की परिचालन तत्परता दोनों को प्रमाणित किया, जिससे वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में इसकी क्षमता सिद्ध हुई। एस-400 सुदर्शन के समावेश से भारतीय वायु सेना ने अपनी प्रतिरोधक क्षमता, प्रतिक्रिया समय और हवाई क्षेत्र में प्रभुत्व को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया है, जिससे भारत की समग्र एकीकृत वायु रक्षा संरचना और राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचा मजबूत हुआ है।