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भारतीय तटरक्षक बल ने जहाज निर्माण में नया मील का पत्थर स्थापित किया

भारतीय तटरक्षक बल ने हाल ही में अपने बेड़े के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें नए फास्ट पेट्रोल वेसल और एयर कुशन वाहनों का निर्माण शामिल है। ये परियोजनाएँ भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगी। जानें इन नए जहाजों की विशेषताएँ और उनके महत्व के बारे में।
 

भारतीय तटरक्षक बल का नया कदम

भारतीय तटरक्षक बल

भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने अपने बेड़े के विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुंबई और गोवा में एक साथ तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें दूसरे फास्ट पेट्रोल वेसल (FPV) की नींव रखी गई, पांचवें FPV का प्लेट कटिंग समारोह हुआ और दो एयर कुशन वाहनों (ACV) के ढांचे की स्थापना की गई।

ये कार्यक्रम मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई और चौगुले यार्ड, गोवा में आयोजित किए गए। इस अवसर पर तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी इंस्पेक्टर जनरल हरमनप्रीत सिंह और इंस्पेक्टर जनरल सुधीर सहनी उपस्थित रहे। इस दौरान नए जहाजों को महासागर में उतारने के विषय पर भी चर्चा की गई।


नए जहाजों की विशेषताएँ

नए जहाजों की खासियत

ICG के अनुसार, ये तेज गश्ती जहाज भारत में निर्मित किए जा रहे हैं। ये जहाज समुद्र में गश्त, बचाव कार्य और कानून प्रवर्तन में सहायक होंगे। प्रत्येक जहाज में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जैसे कि AI संचालित मेंटेनेंस सिस्टम और ड्रोन सपोर्ट सिस्टम। इनका 60% हिस्सा भारत में ही निर्मित किया जा रहा है, जिससे आत्मनिर्भर भारत की पहल को बढ़ावा मिलेगा।


एयर कुशन वाहनों की जानकारी

एयर कुशन वाहन

भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के लिए छह नए एयर कुशन वाहनों का निर्माण किया जा रहा है। ये तेज गति वाले होवरक्राफ्ट पानी, दलदली क्षेत्रों या समुद्र के किनारे कहीं भी चल सकते हैं। इन वाहनों के माध्यम से गश्त, निगरानी और बचाव कार्य को तेज और सरल बनाया जाएगा। इनका आधे से अधिक निर्माण भी भारत में किया जा रहा है, जिससे तटरक्षक बल को इन जहाजों की तकनीकी प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी।


महत्व और प्रभाव

क्यों है यह खास?

इन परियोजनाओं के सफल होने के बाद तटरक्षक बल की ताकत हिंद महासागर में और बढ़ जाएगी। देश में निर्मित ये जहाज और होवरक्राफ्ट भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करेंगे। यह कदम न केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत अब अपनी जहाज निर्माण क्षमता में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।