भारतीय तटरक्षक बल का पहला स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण जहाज 'समुद्र प्रताप' शामिल
भारतीय तटरक्षक बल ने अपने पहले स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण जहाज 'समुद्र प्रताप' को शामिल किया है। यह जहाज गोवा शिपयार्ड में निर्मित हुआ है और समुद्र में तेल रिसाव तथा रासायनिक प्रदूषण से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 'समुद्र प्रताप' में आधुनिक हथियार और तकनीकें शामिल हैं, जो इसे दुश्मनों के खिलाफ भी सक्षम बनाती हैं। इस जहाज के शामिल होने से भारत की समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को नई मजबूती मिलेगी।
Dec 24, 2025, 01:04 IST
भारतीय तटरक्षक बल का नया जहाज
प्रदूषण नियंत्रण जहाज ‘समुद्र प्रताप’.
भारतीय तटरक्षक बल ने अपने पहले स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण जहाज 'समुद्र प्रताप' को अपने बेड़े में शामिल किया है। यह जहाज गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है और इसका उद्देश्य समुद्र में तेल रिसाव और रासायनिक प्रदूषण से निपटना है। यह आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
'समुद्र प्रताप' पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक और डिजाइन से निर्मित पहला प्रदूषण नियंत्रण जहाज है। ICG के अनुसार, यह जहाज अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, जो भारत की समुद्री शक्ति को बढ़ाने में सहायक होगा। इसमें 30 मिमी की तोप, दो रिमोट कंट्रोल गन, आधुनिक ब्रिज सिस्टम और दमकल प्रणाली शामिल हैं। यह दुश्मनों को पहचानने और नष्ट करने में भी सक्षम है। जहाज में 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी उपकरण लगाए गए हैं।
हाईटेक सुविधाओं से लैस 'समुद्र प्रताप'
ICG के अधिकारियों के अनुसार, यह जहाज तटरक्षक बल का पहला ऐसा पोत है, जिसमें डायनेमिक पोजिशनिंग सिस्टम, तेल पहचानने वाली मशीन और केमिकल डिटेक्शन सिस्टम शामिल हैं। ये सुविधाएं समुद्री प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण में मदद करेंगी। इसके अलावा, 'समुद्र प्रताप' समुद्री कानून लागू करने, खोज और बचाव कार्यों और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस जहाज के शामिल होने से भारतीय तटरक्षक बल की क्षमता में वृद्धि होगी और भारत की समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को नई मजबूती मिलेगी।
निर्माण लागत और विशेषताएँ
‘समुद्र प्रताप’ की कुल लंबाई 114.5 मीटर और चौड़ाई 16.5 मीटर है, जबकि इसका विस्थापन भार 4170 टन है। इसके निर्माण की प्रक्रिया 21 नवंबर, 2022 को शुरू हुई थी। यह जहाज देश के समुद्री तटों पर तेल रिसाव की घटनाओं का पता लगाने और उन्हें रोकने में मदद करेगा। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने इसे 583 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया है।