भारतीय एयरलाइन उद्योग को 10,500 करोड़ का नुकसान, रिपोर्ट में खुलासा
एविएशन सेक्टर में बढ़ता घाटा
सांकेतिक तस्वीर
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के अंत तक भारतीय एविएशन उद्योग का शुद्ध घाटा लगभग दोगुना होकर 9,500 से 10,500 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इस नुकसान का मुख्य कारण यात्रियों की संख्या में धीमी वृद्धि और विमानों की डिलीवरी से बढ़ी हुई लागत है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2026 में घरेलू यात्री ट्रैफिक में 4-6 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, लेकिन एयरलाइन उद्योग का वित्तीय प्रदर्शन दबाव में रहने की संभावना है।
नुकसान का अनुमान
कितने नुकसान का अनुमान?
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय एविएशन सेक्टर को वित्त वर्ष 2026 में 95-105 अरब रुपये का व्यापक शुद्ध घाटा होने की संभावना है, जबकि वित्त वर्ष 2025 में यह आंकड़ा 55 अरब रुपये रहने का अनुमान है। यह गिरावट मुख्य रूप से यात्री संख्या में धीमी वृद्धि और विमानों की डिलीवरी में वृद्धि के कारण हो रही है, जिससे परिचालन और पूंजी लागत में वृद्धि हुई है। इक्रा का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 के लिए उद्योग का इंट्रस्ट कवरेज रेश्यो 1.5 से 1.7 गुना के बीच रहेगा।
यात्री ट्रैफिक की स्थिति
कितना है एयर पैसेंजर ट्रैफिक?
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीमा पार तनाव, वैश्विक व्यवधान, और हालिया विमान हादसे के कारण यात्रा में हिचकिचाहट के चलते चालू वित्त वर्ष में वृद्धि की संभावनाएं मध्यम रहने की उम्मीद है। अक्टूबर में, घरेलू हवाई यात्री यातायात 1.43 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जो साल-दर-साल 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
ग्राउंडेड विमानों की संख्या
133 प्लेन हैं ग्राउंडिड
सप्लाई चेन में बाधाएं और इंजन की खराबी के कारण विमानों का ग्राउंडेड होना भी उद्योग को प्रभावित कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2025 तक, कुछ एयरलाइनों के लगभग 133 विमान खड़े थे, जो कुल उद्योग बेड़े का 15-17 प्रतिशत है। इन परिचालन संबंधी रुकावटों के कारण लागत में वृद्धि हुई है, जिसमें खड़े होने से संबंधित खर्च और ईंधन दक्षता में कमी शामिल है।