भारत से अमेरिका को जेट फ्यूल का निर्यात: रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी की भूमिका
अमेरिका को जेट फ्यूल का निर्यात
रिलायंस इंडस्ट्रीज की जामनगर रिफाइनरी से रवाना
भारत ने पहली बार अमेरिका के पश्चिमी तट के लिए जेट ईंधन का निर्यात किया है। यह एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि अमेरिका को ईंधन की कमी के कारण भारत से सहायता लेनी पड़ी है। लॉस एंजेलेस में सप्लाई की कमी के चलते रिलायंस इंडस्ट्रीज की जामनगर रिफाइनरी ने ऊर्जा कंपनी शेवरॉन के लिए यह निर्यात किया है।
पिछले महीने कैलिफ़ोर्निया में शेवरॉन की एक प्रमुख रिफाइनरी में आग लगने से उत्पादन प्रभावित हुआ, जिसके कारण अमेरिका के पश्चिमी तट पर जेट ईंधन का स्टॉक तीन महीने के निचले स्तर पर पहुँच गया। इस स्थिति का लाभ उठाते हुए भारत ने यह ऐतिहासिक निर्यात किया।
अमेरिका की स्थिति का कारण
यह मामला कैलिफ़ोर्निया के एल सेगुंडो में शेवरॉन की रिफाइनरी से संबंधित है, जो प्रतिदिन लगभग 2,85,000 बैरल ईंधन का उत्पादन करती है। अक्टूबर में आग लगने के बाद, कंपनी को कई यूनिट बंद करनी पड़ीं, जिससे जेट फ्यूल का उत्पादन प्रभावित हुआ। शेवरॉन ने बताया कि मरम्मत का काम 2026 की शुरुआत तक पूरा नहीं होगा, जिससे ईंधन की सप्लाई में कमी बनी रहेगी।
जामनगर रिफाइनरी की भूमिका
व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज की जामनगर रिफाइनरी से 28 से 29 अक्टूबर के बीच लगभग 60,000 मीट्रिक टन एविएशन फ्यूल का निर्यात किया गया। यह शिपमेंट कैसलटन कमोडिटीज द्वारा चार्टर किए गए टैंकर पर लादा गया, जो दिसंबर के पहले पखवाड़े में लॉस एंजेलेस पहुँचने की उम्मीद है। इस समय जेट ईंधन की कीमतें एशिया के बेंचमार्क से $10 प्रति बैरल अधिक थीं।
क्या भारत अमेरिका का नियमित आपूर्तिकर्ता बनेगा?
हालांकि भारत ने इस अवसर का लाभ उठाया है, लेकिन व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्यात नियमित नहीं होगा। मुख्य कारण शिपिंग लागत है, क्योंकि उत्तर-पूर्वी एशिया से शिपमेंट सस्ता पड़ता है। आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण कोरिया से अमेरिका के पश्चिमी तट तक ईंधन भेजने की लागत लगभग $40 प्रति टन है।