भारत सरकार की नई एडवाइजरी: बच्चों को खांसी और जुकाम की दवाएं न दें
भारत सरकार की स्वास्थ्य एडवाइजरी
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सलाह जारी की है, जिसमें कहा गया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार की खांसी या सर्दी-जुकाम की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा, यह दवाएं सामान्यतः पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी अनुशंसित नहीं हैं। यह कदम बच्चों को संभावित दुष्प्रभावों से बचाने और उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग की तत्परता
एडवाइजरी के प्रकाशन के तुरंत बाद, छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHO) और सिविल सर्जनों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थानों को इस गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है.
जिलास्तरीय अधिकारियों को निर्देश
आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं ने एक उच्चस्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें सभी जिलास्तरीय विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए कि खांसी या सर्दी की दवाओं का उपयोग केवल चिकित्सकीय परामर्श पर आधारित होना चाहिए। इस संबंध में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतने की सलाह दी गई है.
बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर ध्यान
विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकांश मामलों में बच्चों में खांसी-जुकाम जैसी सामान्य बीमारियाँ अपने आप ठीक हो जाती हैं, और इसके लिए दवा देना आवश्यक नहीं होता। इसलिए, आम जनता को डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को दवाएं न देने के लिए जागरूक किया जाएगा.
औषधि आपूर्ति प्रणाली की निगरानी
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (सीजीएमएससी) से मिली जानकारी के अनुसार, जिन दो कंपनियों के खिलाफ अन्य राज्यों में कार्रवाई की गई है, उनकी राज्य में कोई सरकारी आपूर्ति नहीं रही है। ये कंपनियाँ सीजीएमएससी के डेटाबेस में भी पंजीकृत नहीं हैं। यह तथ्य राज्य में सरकारी स्तर पर आपूर्ति शृंखला की पारदर्शिता और सतर्कता को दर्शाता है.
औषधि विक्रय संस्थानों का निरीक्षण
प्रदेश के सभी सहायक औषधि नियंत्रकों और औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे सभी औषधि विक्रय संस्थानों का तत्काल निरीक्षण करें, ताकि एडवाइजरी के उल्लंघन की कोई संभावना न रहे। इसके साथ ही, निजी फार्मेसियों का आकस्मिक निरीक्षण भी किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अभिभावकों से अनुरोध किया है कि वे बिना चिकित्सकीय परामर्श के अपने बच्चों को कोई भी दवा न दें.