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भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने की योजना

भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा को 20% से बढ़ाने की योजना बना रही है। इस कदम का उद्देश्य बैंकों की पूंजी जुटाने की क्षमता को बढ़ाना और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। हाल के दिनों में सरकारी बैंकों के शेयरों में तेजी आई है, जिससे निवेशकों का मनोबल बढ़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार और संभावित नीतिगत घोषणाएं इस तेजी का कारण हैं। जानें इस प्रस्ताव के पीछे की रणनीतियों और बैंकों की नई ताकत के बारे में।
 

सरकार का नया प्रस्ताव

भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) में विदेशी निवेश की सीमा को 20% से बढ़ाने पर विचार कर रही है। यह कदम बैंकों की पूंजी जुटाने की क्षमता को बढ़ाने और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद कर सकता है। एक प्रमुख समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसकी हिस्सेदारी 51% से कम नहीं होगी, ताकि इन बैंकों का सार्वजनिक स्वरूप बना रहे। यह प्रस्ताव व्यापक आर्थिक सुधारों के एक हिस्से के रूप में पेश किया गया है, जिस पर जल्द ही उच्च स्तर पर निर्णय लिया जाएगा.


बाजार में तेजी

बुधवार को कमजोर बाजार के बावजूद सरकारी बैंकों के शेयरों में उल्लेखनीय तेजी देखी गई। भारतीय स्टेट बैंक (SBI), कैनरा बैंक और इंडियन बैंक ने अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर को छुआ। सुबह 10:07 बजे तक, Nifty PSU Bank Index में 1.2% की वृद्धि हुई, जो दिन का सबसे बड़ा लाभकारी सेक्टोरल इंडेक्स बना। इस दौरान, इंडेक्स 7,543.50 तक पहुंचा, जो जून 2024 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है.


कौन से बैंक चमके?

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI): देश का सबसे बड़ा बैंक, जिसने 52-सप्ताह का नया उच्च स्तर बनाया। कैनरा बैंक: मजबूत बैलेंस शीट और हालिया तिमाही परिणामों से शेयर में तेजी आई। इंडियन बैंक: निवेशकों की बढ़ती रुचि के कारण 52-सप्ताह का उच्चतम स्तर छुआ।


PSU बैंक इंडेक्स का प्रदर्शन

सुबह 10:07 बजे तक, Nifty PSU Bank Index में 1.2% की वृद्धि हुई। इंडेक्स का इंट्रा-डे उच्चतम स्तर 7,543.50 रहा, जो 19 जून 2024 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि इंडेक्स ने 3 जून 2024 को 8,053.30 का ऑल-टाइम हाई बनाया था.


तेजी का कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत हो गई है, एनपीए स्तर में कमी आई है और लाभप्रदता में सुधार हुआ है। सरकारी बैंकों के लिए संभावित नीतिगत घोषणाओं और विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने की चर्चा ने भी बाजार के मनोबल को बढ़ाया है। घरेलू निवेशकों की लगातार खरीदारी ने भी इंडेक्स को सहारा दिया है, जबकि विदेशी निवेशक हाल ही में बिकवाली कर रहे हैं.


सरकार की योजना

वर्तमान में, PSBs में FDI की सीमा 20% और वोटिंग अधिकार 10% तक सीमित हैं। निजी बैंकों में यह सीमा 74% है। सरकार का कहना है कि उसकी हिस्सेदारी 51% से कम नहीं होगी, ताकि सार्वजनिक चरित्र और बोर्ड की निर्णय क्षमता सुरक्षित रहे। इसके अलावा, "गोल्डन शेयर मैकेनिज्म" पर भी विचार किया जा रहा है, जिससे नियंत्रण सरकार के पास ही रहेगा.


PSBs की नई ताकत

वित्त सचिव एम. नागराजु ने हाल ही में कहा कि PSBs अब "सर्वाइवल और स्टेबिलिटी" के दौर से आगे बढ़कर विकास और नवाचार के चैंपियन बनने की स्थिति में हैं। उन्होंने Viksit Bharat 2047 की यात्रा में सरकारी बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका की आवश्यकता बताई। इन बैंकों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा, शासन और संचालन में मजबूती पर ध्यान केंद्रित करना है.


PSBs की वित्तीय स्थिति

पिछले कुछ वर्षों में PSBs की वित्तीय स्थिति में काफी सुधार हुआ है। GNPA (ग्रॉस एनपीए) मार्च 2021 के 9.11% से घटकर मार्च 2025 में 2.58% हो गया है। नेट प्रॉफिट ₹1.04 लाख करोड़ से बढ़कर ₹1.78 लाख करोड़ हो गया है। डिविडेंड पेआउट ₹20,964 करोड़ से बढ़कर ₹34,990 करोड़ हो गया है.


विदेशी निवेश के अवसर

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की तेज़ आर्थिक वृद्धि और बुनियादी ढांचे में निवेश की संभावनाओं के कारण PSBs में विदेशी निवेशकों के लिए बड़े अवसर हैं.


क्रेडिट ग्रोथ की संभावनाएं

CareEdge Ratings ने बताया कि भारत का बैंक क्रेडिट-टू-GDP अनुपात अभी भी कम है, जिससे लंबे समय तक क्रेडिट डीपनिंग की संभावनाएं बनी हुई हैं.