भारत में मनोविज्ञान और सामाजिक व्यवहार: प्राइमिंग का प्रभाव
इस लेख में भारत में मनोविज्ञान और सामाजिक व्यवहार पर चर्चा की गई है, जिसमें प्राइमिंग के प्रभाव और जेमिमा रोड्रिग्स के विवाद का उल्लेख है। जानें कि कैसे बाहरी संकेत हमारे विचारों को प्रभावित करते हैं और समाज में धार्मिक नफरत के मुद्दे पर क्या प्रतिक्रियाएं हैं। यह लेख आपको सोचने पर मजबूर करेगा कि हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं।
Nov 4, 2025, 22:29 IST
मनोविज्ञान और सामाजिक व्यवहार पर चर्चा
हाल ही में भारत में मनोविज्ञान और सामाजिक व्यवहार पर चल रही चर्चाओं में एक दिलचस्प उदाहरण सामने आया है, जो दर्शाता है कि हम अनजाने में अपने विचारों और प्रतिक्रियाओं को बाहरी संकेतों से प्रभावित होने देते हैं। 2017 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया था कि एक सुपरमार्केट ने "12 पर पर्सन" का बोर्ड लगाकर दोगुनी सूप की बिक्री की। यह प्रभाव मनोविज्ञान में ‘एंकरिंग’ और ‘प्राइमिंग’ के रूप में जाना जाता है।
दिल्ली की घटना और मनोवैज्ञानिक अवधारणाएं
दिल्ली में हाल ही में हुई एक घटना ने इस मनोवैज्ञानिक अवधारणा को और भी रोचक बना दिया। जुलाई में, दिल्ली से कोच्चि जाने वाली एक फ्लाइट में दो पत्रकारों के टिकट में नाम की छोटी सी गलती हो गई।
हालांकि, सिक्योरिटी पर तैनात CISF गार्ड्स ने एक पत्रकार को अंदर जाने दिया, जबकि दूसरे को रोक दिया। दोनों के नाम में केवल एक अक्षर का अंतर था। एक का नाम सिद्धार्थ वरदराजन था, जबकि दूसरे का ज़िया उस सलाम। एक हिंदू थे, दूसरे मुस्लिम। इसके बाद वरदराजन ने लोगों से वही सवाल पूछा जो किसी मनोवैज्ञानिक प्रयोग में पूछा जाता है: “सोचिए किसे अंदर जाने दिया गया होगा?”
जेमिमा रोड्रिग्स का प्रदर्शन और विवाद
भारतीय महिला क्रिकेटर जेमिमा रोड्रिग्स के हालिया प्रदर्शन और उनसे जुड़े विवाद ने भी इस बहस को फिर से जीवित कर दिया है। रोड्रिग्स ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में 127 रनों की नाबाद पारी खेली थी, जिसके बाद वह प्लेयर ऑफ द मैच बनीं। मैच के बाद उन्होंने अपनी संघर्ष भरी यात्रा का जिक्र किया और भगवान पर अपने विश्वास के बारे में खुलकर बात की।
हालांकि, इतना सराहनीय प्रदर्शन करने के बावजूद, रोड्रिग्स को सोशल मीडिया पर तब निशाना बनाया गया जब उन्होंने जीसस को धन्यवाद दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2024 में उनके पिता पर कंवर्ज़न कराए जाने के आरोप लगे थे, जिसके कारण उनका क्लब मेंबरशिप तक रद्द किया गया।
धार्मिक नफरत और सामाजिक प्रतिक्रिया
इससे सोशल मीडिया पर धार्मिक नफरत और विवाद फिर से उभर आए हैं। एक तरफ जहां कुछ लोग रोड्रिग्स की तारीफ कर रहे थे, वहीं कुछ ने उन्हें “धर्म की राजनीति” से जोड़ने की कोशिश की। कई लोगों ने कहा कि खेल को राजनीति से दूर रखना चाहिए, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि आखिर क्या वजह है जो हमें इस तरह की सोच की ओर ले जाती हैं।
समाज में प्राइमिंग का प्रभाव
स्पष्ट है कि हमारे समाज, मीडिया और मन में चल रहे विचार, चाहे वे किसी पोस्ट से जुड़े हों या खेल प्रदर्शन से, अनजाने में ही हमारे अनुभवों और धारणाओं द्वारा ‘प्राइम’ किए जा रहे हैं। यही कारण है कि यह समझना बेहद जरूरी हो गया है कि हम क्या सोचते हैं और क्यों सोचते हैं, क्योंकि इसी से तय होता है कि हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं।