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भारत में बंदरगाह सुरक्षा के लिए नया ब्यूरो: BoPS की स्थापना

केंद्र सरकार ने देश की समुद्री सीमाओं और बंदरगाहों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी (BoPS) की स्थापना की है। यह नया निकाय जहाजों और बंदरगाहों की सुरक्षा से संबंधित नियमन और निगरानी का प्रमुख केंद्र होगा। CISF की भूमिका और साइबर सुरक्षा पर ध्यान देने के साथ, BoPS का गठन भारत की आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जानें इस नए ब्यूरो की कार्यप्रणाली और इसके महत्व के बारे में।
 

बंदरगाह सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम

केंद्र सरकार ने देश की समुद्री सीमाओं और बंदरगाहों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी (BoPS) के गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने पर सहमति बनी। यह नया ब्यूरो देशभर में जहाजों और बंदरगाहों की सुरक्षा से संबंधित नियमन और निगरानी का प्रमुख निकाय होगा। BoPS को नागरिक उड्डयन सुरक्षा के लिए बने Bureau of Civil Aviation Security (BCAS) के समान स्थापित किया जाएगा।


CISF की भूमिका और BoPS की आवश्यकता

BoPS की स्थापना ऐसे समय में हो रही है जब एक महीने पहले ही Central Industrial Security Force (CISF) को बंदरगाह सुविधाओं के लिए मान्यता प्राप्त सुरक्षा संगठन के रूप में घोषित किया गया था। CISF अब बंदरगाहों की सुरक्षा ऑडिट, जोखिम मूल्यांकन और सुरक्षा योजनाओं के निर्माण का कार्य करेगा।


बैठक में उठाए गए मुद्दे

इस बैठक में बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय तथा नागरिक उड्डयन मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए। गृह मंत्री ने देशभर में एक मजबूत, समन्वित और आधुनिक पोर्ट सुरक्षा ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि सुरक्षा उपायों को ग्रेडेड और जोखिम-आधारित तरीके से लागू किया जाए, ताकि प्रत्येक बंदरगाह की संवेदनशीलता, व्यापारिक क्षमता, भौगोलिक स्थिति और अन्य प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखा जा सके।


BoPS का कार्य और साइबर सुरक्षा

BoPS, जो Ministry of Ports, Shipping and Waterways (MoPSW) के अधीन कार्य करेगा, सुरक्षा से संबंधित सूचनाओं का विश्लेषण, संग्रह और आदान-प्रदान सुनिश्चित करेगा। इसमें साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, और एक समर्पित प्रभाग बनाया जाएगा जो बंदरगाहों की आईटी अवसंरचना को डिजिटल खतरों से सुरक्षित रखेगा।


नव-प्रवर्तित मर्चेंट शिपिंग एक्ट के तहत गठन

गृह मंत्रालय के अनुसार, BoPS का गठन नव-प्रवर्तित मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 2025 की धारा 13 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में किया जाएगा। इस ब्यूरो का नेतृत्व एक महानिदेशक करेंगे, जो भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी होंगे। इसके अलावा, CISF को निजी सुरक्षा एजेंसियों (PSAs) को प्रशिक्षित करने और उनकी क्षमता निर्माण का कार्य भी सौंपा गया है।


भारत की आर्थिक सुरक्षा और बंदरगाहों की भूमिका

भारत यदि इक्कीसवीं सदी की आर्थिक महाशक्ति बनना चाहता है, तो उसे यह समझना होगा कि खतरे केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि समुद्र के रास्ते भी मौजूद हैं। BoPS का गठन इस सच्चाई को स्वीकार करता है। बंदरगाह भारत की आर्थिक नब्ज़ हैं, और यदि उनकी सुरक्षा कमजोर रही, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।


साइबर सुरक्षा की चुनौतियाँ

साइबर सुरक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि आज एक की-बोर्ड से पूरे पोर्ट को ठप किया जा सकता है। कंटेनर मूवमेंट, शिप ट्रैकिंग, कस्टम्स डेटा सब कुछ डिजिटल है और उतना ही असुरक्षित भी। इसलिए तकनीकी विशेषज्ञता, रियल-टाइम इंटेलिजेंस और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। अब समय है कि भारत केवल लंगर डाले नहीं, बल्कि एक मजबूत और आधुनिक सुरक्षा व्यवस्था भी स्थापित करे।