भारत में फोन टैपिंग: कानूनी स्थिति और नागरिकों के अधिकार
फोन टैपिंग क्या है?
फोन टैपिंग का अर्थ है किसी के फोन कॉल्स को बिना उनकी अनुमति के गुप्त रूप से सुनना। यह आमतौर पर पुलिस, सेना और खुफिया एजेंसियों द्वारा किसी की गतिविधियों की जांच के दौरान किया जाता है।
क्या भारत में फोन टैपिंग कानूनी है?
तकनीकी रूप से, भारत में फोन टैपिंग कानूनी है, लेकिन कुछ शर्तों के तहत। भारतीय कानून के अनुसार, सरकार या कानून प्रवर्तन एजेंसियों को फोन टैप करने के लिए गृह मंत्रालय से पहले अनुमति लेनी होती है। फोन टैपिंग केवल तब की जा सकती है जब इसका उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा या अपराध की रोकथाम हो।
आपके अधिकार क्या हैं?
भारतीय नागरिकों को गोपनीयता का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। 2017 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि हर नागरिक को गोपनीयता का अधिकार है। इसका मतलब है कि:
प्राधिकृत व्यक्ति आपके फोन को बिना उचित कानूनी आधार के टैप नहीं कर सकते।
गैरकानूनी फोन टैपिंग आपके गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन है।
यदि आप गैरकानूनी फोन टैपिंग के शिकार हैं, तो आप न्यायालय में अपील कर सकते हैं।
हाल ही में, मद्रास उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया, जिसमें कहा गया कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5(2) का विस्तार नहीं किया जा सकता है।
मामले का विवरण
यह याचिका केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दायर की गई थी, जिसे न्यायाधीश एन. आनंद वेंकटेश ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह विधायिका का कार्य है, न कि न्यायपालिका का, कि वे मौलिक अधिकार में हस्तक्षेप की सीमाओं को निर्धारित करें।
न्यायाधीश ने कहा कि धारा 5(2) एक सीमा रेखा निर्धारित करती है, क्योंकि फोन टैपिंग सीधे गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन करती है।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा का खतरा नहीं है, तो फोन टैपिंग की वैधता नहीं है।
निष्कर्ष
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यदि समीक्षा समिति को लगता है कि इंटरसेप्टेड सामग्री कानून का उल्लंघन करके एकत्र की गई है, तो उसके पास इसे नष्ट करने का अधिकार है। इस स्थिति में, सीबीआई इस सामग्री का किसी भी रूप में उपयोग नहीं कर सकती।