भारत में पशु वध: मांस, तेल और अन्य उत्पादों का व्यापार
भारत में कत्लखानों की स्थिति
भारत में लगभग 3600 बड़े कत्लखाने हैं, जिनके पास पशुओं के वध का लाइसेंस है, जो सरकार द्वारा जारी किया गया है। इसके अलावा, 35000 से अधिक छोटे कत्लखाने अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।
हर साल लगभग 4 करोड़ पशुओं का वध किया जाता है, जिसमें गाय, भैंस, सूअर, बकरा, बकरी, ऊंट आदि शामिल हैं। मुर्गियों के वध का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। मांस के अलावा, पशुओं से तेल भी प्राप्त होता है, जिसे 'tallow' कहा जाता है। गाय के मांस से निकला तेल 'beef tallow' और सूअर के मांस से निकला तेल 'pork tallow' कहलाता है।
मांस और तेल का उपयोग
इस तेल का उपयोग मुख्य रूप से कॉस्मेटिक उत्पादों में किया जाता है, जैसे कि Fair & Lovely, Ponds, और Emami। मद्रास हाई कोर्ट में श्री राजीव दीक्षित ने Fair & Lovely के खिलाफ एक मामला जीता था, जिसमें कंपनी ने स्वीकार किया था कि उनके उत्पाद में सूअर की चर्बी का तेल मिलाया जाता है।
कत्लखानों में मांस और तेल के अलावा, पशुओं का खून भी निकाला जाता है। कसाई पहले पशुओं को उल्टा लटका देते हैं और फिर तेज चाकू से उनकी गर्दन काटते हैं, जिससे खून बहता है। इस खून का उपयोग अंग्रेजी दवाओं, जैसे कि 'dexorange' में किया जाता है, जो विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए लिखी जाती है।
अन्य उत्पादों का निर्माण
खून का उपयोग लिपस्टिक और चाय बनाने में भी किया जाता है। चाय की पत्तियों को सुखाकर बेचा जाता है, लेकिन कंपनियां चाय के निचले हिस्से को खून के साथ मिलाकर चाय जैसा रंग बनाने का प्रयास करती हैं।
इसके अलावा, पशुओं की हड्डियों का उपयोग टूथपेस्ट, शेविंग क्रीम, और टैल्कम पाउडर बनाने में किया जाता है। हड्डियों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है और कंपनियों को बेचा जाता है।
गाय की चमड़ी का उपयोग क्रिकेट और फुटबॉल बनाने में किया जाता है। जूते, चप्पल, बेल्ट, और अन्य सजावटी सामान बनाने में भी इसका प्रयोग होता है।
पशु वध का व्यापक प्रभाव
गाय और अन्य पशुओं के वध से मांस, तेल, खून, हड्डियाँ और चमड़ा जैसे पांच मुख्य उत्पाद निकलते हैं। इनका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जिससे एक बड़ा बाजार बनता है।
गाय की आंतों का उपयोग जिलेटिन बनाने में किया जाता है, जो आइसक्रीम, चॉकलेट, और कैप्सूल में पाया जाता है। यह जानकर हैरानी होती है कि कई लोग जो शाकाहारी होने का दावा करते हैं, वे अनजाने में इन उत्पादों का सेवन कर रहे हैं।
इसलिए, लोगों को चाहिए कि वे इन उत्पादों से बचें और अपने धर्म को भ्रष्ट होने से बचाएं। विज्ञापनों पर ध्यान न दें, क्योंकि इनमें अक्सर गुणवत्ता की कमी होती है।