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भारत में परिवहन के क्षेत्र में नई क्रांति: इलेक्ट्रिक बसें और रोपवे

नितिन गडकरी ने हाल ही में भारत में परिवहन के क्षेत्र में कई नई योजनाओं का खुलासा किया है। इनमें इलेक्ट्रिक बसें, हाइपरलूप सिस्टम और रोपवे शामिल हैं। ये योजनाएँ न केवल सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाएंगी, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा में भी मदद करेंगी। गडकरी ने बताया कि इन पहलों से देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। जानें और क्या-क्या योजनाएँ हैं इस लेख में।
 

परिवहन के क्षेत्र में नई योजनाएँ

नितिन गडकरी ने हाल ही में एक साक्षात्कार में देश में सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं और राजमार्गों के विकास की योजनाओं का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि भारत में मास मोबिलिटी के अगले चरण में शहरी क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक रैपिड ट्रांसपोर्ट हाइपरलूप, रोपवे, केबल बसें और कठिन इलाकों में फ्यूनिकुलर रेलवे शामिल होंगे।


गडकरी ने यह भी बताया कि भारत का परिवहन क्षेत्र एक बड़े परिवर्तन के लिए तैयार है। इसके लिए वृक्ष बैंक, मोबाइल आधारित ड्राइविंग परीक्षण और 11 प्रमुख ऑटो निर्माताओं द्वारा फ्लेक्स फ्यूल इंजनों जैसी पहलों की योजना बनाई जा रही है। इसके अलावा, 25,000 किलोमीटर की दो लेन वाले राजमार्गों को चार लेन में अपग्रेड करने की योजना है।


हाइपरलूप सिस्टम और मेट्रिनो पॉड टैक्सियाँ

गडकरी ने कहा कि इन परियोजनाओं की लागत 200 करोड़ से लेकर 5,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है। एक बार पूरा होने पर, ये परियोजनाएँ भारत के परिवहन के स्वरूप को बदल देंगी। बेहतर सड़क बुनियादी ढाँचा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों के लिए मेट्रिनो पॉड टैक्सियाँ, हाइपरलूप सिस्टम और पिलर-आधारित मास रैपिड ट्रांसपोर्ट पर काम चल रहा है।


उन्होंने यह भी बताया कि टाटा, टोयोटा, हुंडई और महिंद्रा जैसी 11 कंपनियाँ फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाहनों का निर्माण करने के लिए सहमत हुई हैं, जिससे ईंधन आयात पर निर्भरता कम होगी।


सतत विकास की दिशा में कदम

गडकरी ने कहा कि परिवहन क्षेत्र देश की वायु प्रदूषण में लगभग 40% योगदान देता है। उन्होंने बताया कि हरित मोबिलिटी पहलों से न केवल उत्सर्जन में कमी आएगी, बल्कि देश के वार्षिक ईंधन आयात बिल को भी कम किया जा सकेगा।


इसके अलावा, नागपुर में 135-सीटर इलेक्ट्रिक बस के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की गई है।