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भारत में चुनाव: लोकतंत्र का वैश्विक उदाहरण

भारत में चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का साधन नहीं हैं, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के संचालन का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। हाल ही में शुरू हुए International Election Visitors Programme (IEVP) के तहत कई देशों के प्रतिनिधि बिहार विधानसभा चुनाव का अवलोकन करने आए हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के चुनावी ढांचे और प्रक्रियाओं को समझाना है। भारत का चुनाव आयोग दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक अभ्यास का संचालन करता है, जिसमें करोड़ों मतदाता और लाखों मतदान केंद्र शामिल हैं। यह लेख भारत के चुनावी कूटनीति और लोकतंत्र के महत्व को उजागर करता है।
 

भारत के चुनाव: एक लोकतांत्रिक मॉडल

भारत में चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का साधन नहीं हैं, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के संचालन का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इसी संदर्भ में, चुनाव आयोग ने मंगलवार को International Election Visitors Programme (IEVP) 2025 की शुरुआत की, जिसमें फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड और कोलंबिया के प्रतिनिधि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान का अवलोकन करने आए हैं.


इस कार्यक्रम का उद्घाटन दिल्ली में स्थित India International Institute for Democracy and Election Management (IIIDEM) में किया गया, जहां मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त डॉ. विवेक जोशी ने विदेशी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की और भारत के चुनावी ढांचे की कार्यप्रणाली को साझा किया.


  • भारत का चुनाव आयोग दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक अभ्यास का संचालन करता है, जिसमें-
  • 95 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता
  • 12 लाख से अधिक मतदान केंद्र
  • 1500 से अधिक राजनीतिक दल
  • लाखों कर्मियों की तैनाती


इस विशाल पैमाने पर निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराना एक अद्भुत कार्य है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय चुनाव प्रबंधन संस्थाएं भारत के अनुभव को लोकतांत्रिक प्रशासन का आदर्श मानती हैं. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), अंतरराष्ट्रीय IDEA और एशिया-प्रशांत इलेक्शन नेटवर्क जैसी संस्थाएं भी भारत के EVM और VVPAT सिस्टम की पारदर्शिता पर अध्ययन कर चुकी हैं.


IIIDEM ने अब तक 100 से अधिक देशों के 2000 से अधिक चुनाव अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया है, जो यह दर्शाता है कि भारत चुनावी कूटनीति का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है.


IEVP: भारत की सॉफ्ट पावर का प्रदर्शन

यह कार्यक्रम 2014 में शुरू हुआ, जब भारत ने पहली बार विदेशी चुनाव अधिकारियों को आमंत्रित किया। इसका उद्देश्य यह दिखाना था कि एक अरब की जनसंख्या वाला देश कैसे लोकतंत्र को प्रभावी ढंग से संचालित कर सकता है। तब से हर बड़े चुनाव में यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें प्रतिभागियों को EVM की कार्यप्रणाली, मतदाता सूची निर्माण, बूथ प्रबंधन और परिणाम प्रसंस्करण की प्रक्रिया दिखाई जाती है.


इस बार, 5 से 6 नवंबर तक विदेशी प्रतिनिधि बिहार के EVM डिस्पैच सेंटरों का दौरा करेंगे और 6 नवंबर को वास्तविक मतदान प्रक्रिया का अवलोकन करेंगे. यह उनके लिए भारत की लोकतांत्रिक मशीनरी का प्रत्यक्ष अनुभव होगा.


वैश्विक लोकतंत्र के लिए भारतीय दृष्टिकोण

कई विकासशील देशों में अभी भी मतदाता सूचियां और मैनुअल बैलेट सिस्टम भ्रष्टाचार और असंगतियों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में, भारत की EVM आधारित प्रणाली और सेंट्रल मॉनिटरिंग नेटवर्क उन देशों के लिए एक सीखने की प्रयोगशाला बन गए हैं.


बिहार चुनाव को देखने आए विदेशी प्रतिनिधियों के लिए यह केवल एक राजनीतिक घटना नहीं होगी, बल्कि यह समझने का अवसर होगा कि भारत में लोकतंत्र एक जीवंत परंपरा है, जो हर गांव, हर वर्ग और हर मतदाता को समान दर्जा देती है.


लोकतंत्र का उत्सव

जब दुनिया के कई हिस्सों में लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, भारत अपने चुनावी अनुशासन और तकनीकी दक्षता के माध्यम से यह प्रदर्शित कर रहा है कि लोकतंत्र न केवल टिकाऊ है, बल्कि प्रेरणादायक भी है. भारत का लोकतंत्र न तो किसी पश्चिमी मॉडल की नकल है और न ही किसी थ्योरी का प्रयोग. यह उस परंपरा की जीवंत मिसाल है, जिसमें मतपत्र और मतदाता दोनों मिलकर विश्व को लोकतंत्र का नया अर्थ सिखा रहे हैं.