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भारत में किरायेदारी कानून: नए नियम और अधिकार

भारत में किरायेदारी को लेकर अक्सर विवाद होते हैं, जिन्हें कम करने के लिए केंद्र सरकार ने Model Tenancy Act, 2021 पेश किया है। यह कानून मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है। जानें इस नए कानून के तहत क्या बदलाव आए हैं, जैसे कि लिखित समझौते की अनिवार्यता, सिक्योरिटी डिपॉज़िट पर नियंत्रण, और बेदखली के नियम। यह जानकारी आपको किरायेदारी के संबंध में बेहतर समझ प्रदान करेगी।
 

किरायेदारी विवादों का समाधान


भारत में किरायेदारी से संबंधित अक्सर मकान मालिक और किरायेदार के बीच गलतफहमियां और कानूनी झगड़े होते हैं। इन समस्याओं को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने Model Tenancy Act (MTA), 2021 पेश किया है, जो दोनों पक्षों को समान सुरक्षा प्रदान करता है और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है।


कानून का कार्यान्वयन

यह कानून तभी प्रभावी होता है जब कोई राज्य इसे अपनाने या अपने मौजूदा किरायेदारी नियमों में बदलाव करने का निर्णय लेता है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, असम और उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्य इस मॉडल को लागू कर चुके हैं या इसे अपनाने की प्रक्रिया में हैं।


Model Tenancy Act के प्रभाव

नया कानून मालिक और किरायेदार दोनों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है, जिससे न तो किरायेदार को अचानक बेदखली का डर होता है और न ही मकान मालिक को संपत्ति के नुकसान का खतरा।


मकान मालिक के अधिकार और नई पाबंदियां

1. लिखित समझौता अनिवार्य


अब कोई भी किरायेदारी मौखिक सहमति पर नहीं चल सकती। किरायेदार और मालिक दोनों के लिए लिखित रेंट एग्रीमेंट बनाना आवश्यक है। 1 जुलाई 2025 से डिजिटल स्टम्पिंग भी अनिवार्य होगी। इस नियम का उल्लंघन करने पर ₹5,000 का जुर्माना हो सकता है.


2. सिक्योरिटी डिपॉज़िट पर नियंत्रण


अब कोई मकान मालिक मनमाने तरीके से सिक्योरिटी डिपॉज़िट नहीं मांग सकता। आवासीय संपत्ति के लिए अधिकतम 2 महीने का किराया लिया जा सकता है, जबकि वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए राज्य के अनुसार नियम भिन्न हो सकते हैं.


3. किराए में वृद्धि के नियम


अधिकतर मामलों में मकान मालिक अपनी मर्जी से हर साल किराया बढ़ा देते हैं, लेकिन अब इस एक्ट के लागू होने के बाद मनमर्जी से किराए में वृद्धि पर रोक लग जाएगी। आमतौर पर मकान मालिक को 5-10% सालाना वृद्धि की अनुमति होगी.


4. बेदखली के कारण


किरायेदार को केवल वैध कारणों पर ही बेदखल किया जा सकता है, जैसे कि दो महीने तक लगातार किराया न देना, संपत्ति का नुकसान या अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करना.


किरायेदार के अधिकार और सुरक्षा


  • अनुचित बेदखली से सुरक्षा: मकान मालिक किरायेदार को अचानक घर से नहीं निकाल सकते। बेदखली के लिए कानूनी कारण और नोटिस देना आवश्यक है.

  • मेंटेनेंस की जिम्मेदारी: मकान मालिक को संपत्ति को रहने योग्य स्थिति में बनाए रखना आवश्यक है। आवश्यक मरम्मत न करने पर किरायेदार कानूनी सलाह लेकर किराया रोक सकते हैं.

  • निजता का अधिकार: मकान मालिक किरायेदार के घर में तभी प्रवेश कर सकते हैं जब उन्हें 24 घंटे पहले सूचित किया गया हो, इसके अलावा कोई वैध कारण जैसे निरीक्षण या मरम्मत पर ही प्रवेश किया जा सकता है.