भारत में कानून के शासन पर मुख्य न्यायाधीश गवई का महत्वपूर्ण भाषण
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने मॉरीशस में कानून के शासन पर एक महत्वपूर्ण भाषण दिया, जिसमें उन्होंने संविधान के महत्व और न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने 'बुलडोजर शासन' की आलोचना की और बताया कि कैसे ऐतिहासिक अन्यायों के बावजूद, असली कानून न्याय, समानता और निष्पक्षता को बनाए रखता है। गवई ने भारत और मॉरीशस के बीच गहरे संबंधों की सराहना की और महात्मा गांधी के विचारों का उल्लेख करते हुए, निर्णयों के प्रभाव पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।
Oct 4, 2025, 12:55 IST
कानून के शासन की आवश्यकता
भारत के मुख्य न्यायाधीश, बीआर गवई ने स्पष्ट किया कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो कानून के शासन के सिद्धांतों पर आधारित है, जहां शासन संविधान और कानूनों के माध्यम से संचालित होता है, न कि मनमानी या शक्ति के बल पर। मॉरीशस में कानून के शासन पर एक स्मारक व्याख्यान देते हुए, उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे सभी व्यक्तियों को कानून का पालन करना अनिवार्य है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ऐतिहासिक रूप से, कानून के नाम पर कई अन्याय हुए हैं, जैसे कि गुलामी और औपनिवेशिक कानून, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि असली कानून वह है जो न्याय, समानता और निष्पक्षता को बनाए रखता है। मुख्य न्यायाधीश गवई ने 'बुलडोजर शासन' की आलोचना करते हुए कहा कि बिना उचित सुनवाई या कानूनी प्रक्रिया के किसी का घर गिराना कानून के शासन का उल्लंघन है।
संविधान का महत्व
उन्होंने यह भी कहा कि भारत का शासन संविधान के अनुसार चलेगा, न कि बुलडोजर के माध्यम से। मुख्य न्यायाधीश गवई ने भारत और मॉरीशस के बीच गहरे संबंधों की सराहना की, यह बताते हुए कि दोनों देशों ने उपनिवेशवाद की चुनौतियों का सामना किया है और अब स्वतंत्र और लोकतांत्रिक समाजों के रूप में एकजुट हैं। महात्मा गांधी के विचारों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि किसी भी निर्णय का सबसे गरीब और हाशिए पर पड़े लोगों पर प्रभाव का ध्यान रखना आवश्यक है। डॉ. भीमराव आंबेडकर का उल्लेख करते हुए, उन्होंने बताया कि संविधान ने सत्ता के दुरुपयोग को रोकने और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक नियम और प्रक्रियाएँ निर्धारित की हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हमेशा कानून के शासन को बनाए रखा है और इस संदर्भ में कई ऐतिहासिक निर्णयों का उल्लेख किया।
मुख्य न्यायाधीश गवई के द्वारा उल्लेखित महत्वपूर्ण सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय
मुख्य न्यायाधीश गवई द्वारा उल्लिखित प्रमुख सर्वोच्च न्यायालय के फैसले
केशवानंद भारती मामला (1973): न्यायालय ने निर्णय दिया कि संसद संविधान के मूल ढांचे में बदलाव नहीं कर सकती।
मेनका गांधी मामला (1978): न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक कानून को न्यायसंगत, निष्पक्ष और उचित होना चाहिए।
तीन तलाक मामला (2017): न्यायालय ने इस प्रथा को मनमाना और असंवैधानिक घोषित किया।
चुनावी बांड मामला (2024): न्यायालय ने राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया।