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भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए 20,000 करोड़ रुपये का रिस्क गारंटी फंड प्रस्तावित

भारत सरकार प्राइवेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के रिस्क गारंटी फंड की स्थापना पर विचार कर रही है। यह फंड प्रोजेक्ट्स के जोखिम को साझा करके निवेश को आकर्षित करेगा और डेवलपर्स पर वित्तीय बोझ को कम करेगा। नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2030 तक 4500 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करने की आवश्यकता है। जानें इस फंड के महत्व और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

सरकार का नया प्रस्ताव

भारत सरकार प्राइवेट सेक्टर में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के रिस्क गारंटी फंड की स्थापना पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, इस फंड का उद्देश्य प्रोजेक्ट्स के जोखिम को साझा करके प्राइवेट निवेश को आकर्षित करना और परियोजना डेवलपर्स पर वित्तीय दबाव को कम करना है। यह फंड National Credit Guarantee Trustee Company Limited (एनसीजीटीसी) द्वारा संचालित किया जा सकता है, जो नई परियोजनाओं के विकास से जुड़े जोखिमों को कवर करेगा। इसके साथ ही, डेवलपर्स को न्यूनतम हिस्सेदारी के रूप में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय भी अपनाने होंगे और जोखिम-आधारित प्रीमियम का भुगतान करना पड़ सकता है.


इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च की आवश्यकता

सूत्रों के अनुसार, यह फंड नीतिगत अनिश्चितताओं और अन्य गैर-वाणिज्यिक जोखिमों से होने वाले नुकसानों की भरपाई करेगा, जिससे लेंडर्स को बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए अधिक लोन देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इस फंड की सफलता के लिए इसकी गारंटी बैंक योग्य होनी चाहिए और समय पर भुगतान का आश्वासन भी आवश्यक है। नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2030 तक 4500 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 390 लाख करोड़ रुपये) खर्च करने की आवश्यकता होगी ताकि 2025 तक 5000 अरब अमेरिकी डॉलर की इकोनॉमी का लक्ष्य हासिल किया जा सके।


इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्व

एक कार्यबल की रिपोर्ट में बताया गया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता भारत सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यह कार्यक्रम देश की मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ाने और रोजगार सृजन में मदद करने के लिए है। 2020 में जारी इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि यदि सरकार बुनियादी ढांचे के विकास में विफल रहती है, तो कॉर्पोरेट ग्रोथ और निवेश प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अक्षमताओं के कारण ग्रॉस जीडीपी का चार से पांच प्रतिशत खर्च होता है।