भारत में आतंकवादी गतिविधियों की जांच में तेजी, विस्फोटक सामग्री की बरामदगी
आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई
एनआईए और अन्य जांच एजेंसियों ने आतंकवादी हमलों के संदर्भ में सख्त कदम उठाना शुरू कर दिया है, जिससे देशभर में आतंकवादियों के बीच संबंधों का पता चल रहा है। जम्मू-कश्मीर के आमिर राशिद, जो आतंकवादी उमर का साथी है, को गिरफ्तार किया गया है, और मध्यप्रदेश के महू में जवाद सिद्दीकी के खिलाफ भी जांच का दायरा बढ़ रहा है। यह स्पष्ट हो गया है कि देश में बड़े आतंकवादी हमलों की योजना बनाई जा चुकी थी।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का माहौल बनाने के बाद, अब आतंकवादी गतिविधियों के संकेत देश के अन्य हिस्सों में भी देखने को मिल रहे हैं। फरीदाबाद में हुई गिरफ्तारी और दिल्ली के लालकिले के पास कार बम विस्फोट को इसी संदर्भ में देखा जा सकता है। ऐसे में आतंकियों के नेटवर्क के खुलासे और उनसे मिली सामग्री के प्रति सतर्क रहना आवश्यक है।
तथ्यों के अनुसार, दिल्ली में बम विस्फोट से पहले फरीदाबाद में जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े एक आतंकवादी नेटवर्क का खुलासा हुआ था। कुछ संदिग्धों की गिरफ्तारी के साथ-साथ भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री भी बरामद की गई थी। इन्हें जम्मू-कश्मीर के नौगाम थाने में ले जाया गया था, ताकि विस्फोटकों का गहन परीक्षण किया जा सके।
हालांकि, यह विस्फोटक सामग्री नौगाम थाने तक पहुंच गई, लेकिन जांच टीमों ने उस आतंकवादी नेटवर्क को संभालने में आवश्यक सावधानी नहीं बरती। यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि थाने के परिसर में विस्फोटकों की जांच के दौरान एक बड़ा बम विस्फोट हुआ, जिसमें नौ लोगों की जान गई और 32 अन्य घायल हुए। धमाके की तीव्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि थाने को भारी नुकसान हुआ और आसपास के घर भी प्रभावित हुए।
नौगाम थाने में हुए विस्फोट को शुरू में आतंकी हमले के रूप में देखा गया, लेकिन बाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस और गृह मंत्रालय ने इसे एक हादसा बताया। जब्त विस्फोटकों के नमूने निकालने की प्रक्रिया के दौरान अचानक विस्फोट हो गया।
यदि इस विस्फोट का आतंकवादी गतिविधियों से कोई संबंध नहीं था, तो यह राहत की बात है। लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री एक आतंकवादी नेटवर्क के खुलासे के दौरान जब्त की गई थी। यदि आतंकियों ने इन विस्फोटकों का उपयोग योजनाबद्ध तरीके से किया होता, तो जानमाल का नुकसान कितना बड़ा हो सकता था, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
यह संभव है कि यह घटना किसी चूक का परिणाम हो, लेकिन यह आवश्यक है कि यह जांच की जाए कि विस्फोटक सामग्री को कैसे और किन परिस्थितियों में ले जाया गया। क्या इस प्रक्रिया में शामिल लोगों के पास विस्फोटकों और खतरनाक रसायनों की जांच के लिए आवश्यक विशेषज्ञता थी? आतंकवादी संगठनों की योजनाओं के तहत होने वाले हमलों का खामियाजा पहले ही एक बड़ी चुनौती बन चुका है।