भारत में अर्बन नक्सल के खिलाफ जांच की तैयारी, गृह मंत्री अमित शाह का बड़ा कदम
भारत में तख्तापलट की संभावनाएं
यदि आप दक्षिण एशिया के मानचित्र पर नजर डालें, तो भारत के पड़ोसी देशों की सूची में सैन्य तख्तापलट की घटनाएं आम हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों में यह घटनाएं हुई हैं।
इंडोनेशिया, थाईलैंड और वियतनाम में भी तख्तापलट के प्रयास हुए हैं। लेकिन भारत, जो विभिन्न सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधताओं से भरा है, ने अब तक इस तरह की स्थिति का सामना नहीं किया है। हालांकि, अर्बन नक्सल के माध्यम से राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने के प्रयास होते रहे हैं।
अर्बन नक्सल की परिभाषा
नक्सलियों को आमतौर पर जंगलों में सक्रिय विद्रोहियों के रूप में देखा जाता है। लेकिन उनके पीछे कौन है? कौन उन्हें हथियार देता है और किसने उन्हें अपने देश के खिलाफ खड़ा किया है? ये सवाल महत्वपूर्ण हैं।
नक्सलियों के अधिकांश समर्थक गरीब समुदायों से आते हैं, जबकि उनके नेता अक्सर धनवान होते हैं। ये नेता विदेशी शक्तियों से भी जुड़े हो सकते हैं, जो इन आंदोलनों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
अमित शाह की नई पहल
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ब्यूरो (BPR&D) को 1974 के बाद हुए सभी आंदोलनों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। यह जांच यह पता लगाने में मदद करेगी कि इन प्रदर्शनों के पीछे कौन लोग थे और उनकी फंडिंग का स्रोत क्या था।
हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन 2025 के तहत इन जांचों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए।
भविष्य की रणनीति
अमित शाह ने यह भी कहा है कि भविष्य में बड़े आंदोलनों को रोकने के लिए एक एसओपी तैयार किया जाएगा। बीपीआर एंड डी अब सभी राज्य पुलिस विभागों के साथ मिलकर पुराने केस फाइलों की जांच करेगा।
इसके अलावा, वित्तीय जांच एजेंसियों को भी शामिल किया जाएगा ताकि आंदोलन की फंडिंग के स्रोतों का पता लगाया जा सके।
जांच की समयसीमा
1974 का वर्ष इसलिए चुना गया क्योंकि इसके बाद 1975 में आपातकाल लागू किया गया था। उस समय इंदिरा गांधी ने विदेशी शक्तियों के हस्तक्षेप की बात की थी। अब इस समयसीमा के आधार पर जांच की जाएगी कि क्या किसी आंदोलन में विदेशी फंडिंग शामिल थी।
इस जांच का लक्ष्य जनवरी 2027 तक पूरा करना है, ताकि अर्बन नक्सल के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जा सके।