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भारत में UPI भुगतान पर दो ऐप्स का वर्चस्व, सरकार को मिला चेतावनी

भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से होने वाले डिजिटल लेनदेन में दो प्रमुख ऐप्स का 80% वर्चस्व है। इंडिया फिनटेक फाउंडेशन (IFF) ने सरकार और RBI को चेतावनी दी है कि यह स्थिति कॉन्सनट्रेशन रिस्क को बढ़ा रही है। यदि इनमें से किसी एक ऐप की सेवाएं बाधित होती हैं, तो पूरे UPI प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। IFF ने सुझाव दिया है कि प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन नीति में बदलाव किया जाए। जानें इस मुद्दे के बारे में और अधिक जानकारी।
 

UPI भुगतान प्रणाली में ऐप्स का प्रभाव

यूपीआई भुगतान पर ऐप्स का दबदबा

भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का उपयोग आज हर जगह हो रहा है। हालाँकि, फिनटेक उद्योग से एक गंभीर चेतावनी आई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडिया फिनटेक फाउंडेशन (IFF) ने सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को एक पत्र भेजकर बताया है कि देश के डिजिटल भुगतान प्रणाली में कॉन्सनट्रेशन रिस्क बढ़ता जा रहा है।

80% UPI लेनदेन केवल दो ऐप्स के माध्यम से

IFF के अनुसार, वर्तमान में भारत में UPI के माध्यम से होने वाले सभी डिजिटल लेनदेन में से 80% से अधिक केवल दो प्रमुख थर्ड पार्टी ऐप प्रदाताओं (TPAPs) के जरिए किए जा रहे हैं। इसका अर्थ है कि यदि इनमें से किसी एक ऐप की सेवाएं बाधित होती हैं, तो पूरे UPI प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

फिनटेक कंपनियों की चिंता

IFF ने 29 अक्टूबर 2025 को भेजे गए पत्र में कहा कि UPI गंभीर कॉन्सनट्रेशन रिस्क का सामना कर रहा है। इसलिए, देश के डिजिटल भुगतान ढांचे को मजबूत करने के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि अन्य ऐप्स को भी समान अवसर मिल सकें। यह पत्र वित्त मंत्रालय और RBI दोनों को भेजा गया है।

UPI में रिकॉर्ड लेनदेन का आंकड़ा

राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 में UPI के माध्यम से 19.63 अरब लेनदेन हुए, जिनका कुल मूल्य लगभग ₹24.90 लाख करोड़ था। अगस्त 2025 में यह संख्या 20 अरब के पार चली गई थी। यह दर्शाता है कि भारत में डिजिटल लेनदेन कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि इनका अधिकांश हिस्सा कुछ कंपनियों के नियंत्रण में है।

सरकार और RBI के लिए सुझाव

IFF ने अपने पत्र में सुझाव दिया है कि सरकार, RBI और NPCI को मिलकर UPI प्रोत्साहन नीति में बदलाव करना चाहिए। इससे छोटे और नए TPAPs को अधिक प्रोत्साहन मिलेगा, ताकि UPI बाजार में प्रतिस्पर्धा बनी रहे और एकाधिकार की स्थिति समाप्त हो सके।

कॉन्सनट्रेशन रिस्क क्या है?

कॉन्सनट्रेशन रिस्क का अर्थ है किसी प्रणाली का कुछ ही खिलाड़ियों पर अत्यधिक निर्भर होना। UPI के मामले में, यदि केवल दो ऐप्स 80% लेनदेन का प्रबंधन कर रहे हैं, तो किसी तकनीकी समस्या, साइबर हमले या नीतिगत विवाद की स्थिति में पूरे देश का भुगतान नेटवर्क ठप हो सकता है। यह स्थिति अर्थव्यवस्था और आम जनता दोनों के लिए हानिकारक हो सकती है।