भारत-भूटान रेल परियोजना: सामरिक और आर्थिक सहयोग का नया अध्याय
भारत और भूटान के बीच प्रस्तावित रेल परियोजनाएँ, जैसे कोकराझार-गेलेफू और बनरहाट-सामत्से, सामरिक और आर्थिक सहयोग का नया अध्याय खोलती हैं। लगभग ₹4,033 करोड़ की लागत से बनने वाली ये रेल लाइनें भूटान को पहली बार रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी, जिससे भारत-भूटान संबंधों में गहराई आएगी। यह परियोजना न केवल व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि सुरक्षा सहयोग को भी मजबूत करेगी। जानें इस परियोजना के विभिन्न पहलुओं और इसके दूरगामी प्रभावों के बारे में।
Sep 29, 2025, 18:09 IST
भारत और भूटान के बीच नई रेल परियोजनाएँ
भारत और भूटान के बीच प्रस्तावित रेल परियोजनाएँ, जैसे कोकराझार-गेलेफू और बनरहाट-सामत्से, केवल बुनियादी ढांचे के विकास का संकेत नहीं हैं, बल्कि ये दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ भी लाती हैं। लगभग ₹4,033 करोड़ की लागत से बनने वाली ये रेल लाइनें भूटान को पहली बार रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी, जिससे भारत-भूटान संबंधों में सामरिक और आर्थिक गहराई आएगी।
सामरिक दृष्टिकोण से भूटान का महत्व
भूटान, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण बफर ज़ोन है। चीन और भूटान के बीच कई सीमा विवाद, विशेषकर डोकलाम क्षेत्र में, अभी भी अनसुलझे हैं। ऐसे में, रेल संपर्क केवल व्यापार और पर्यटन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह सुरक्षा सहयोग को भी मजबूत करेगा। कोकराझार-गेलेफू रेल लाइन बोंगाईगाँव से सीधे जुड़ती है, जो एक औद्योगिक और सामरिक केंद्र है। संकट के समय, यह रेल लाइन भारत को पूर्वोत्तर में रक्षा सामग्री की त्वरित आपूर्ति का विकल्प प्रदान करेगी।
रेल संपर्क का आर्थिक प्रभाव
रेल संपर्क से भारत की मोबिलिटी और भूटान की स्थिरता दोनों को बढ़ावा मिलेगा। चीन के बढ़ते कूटनीतिक दबाव के बीच, यह कनेक्टिविटी सुरक्षा संतुलन को भारत के पक्ष में मजबूत करती है। भूटान की अर्थव्यवस्था अब तक सड़क परिवहन पर निर्भर रही है, लेकिन नई पटरियों के माध्यम से भूटान सीधे भारत के 1.5 लाख किमी लंबे रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाएगा। इससे भूटानी निर्यात, जैसे हाइड्रोपावर, सीमेंट, खनिज और कृषि उत्पाद, भारतीय बंदरगाहों और वैश्विक बाजारों तक आसानी से पहुँच सकेंगे।
भूटान के औद्योगिक विकास में योगदान
सामत्से, जो भूटान का औद्योगिक केंद्र है, भारतीय बाजारों से जुड़कर निवेश को आकर्षित कर सकता है। गेलेफू को 'माइंडफुलनेस सिटी' के रूप में विकसित करने की योजना के तहत, रेल संपर्क अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नेटवर्क से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत द्वारा भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना में ₹10,000 करोड़ का सहयोग इस बात का संकेत है कि ये रेल परियोजनाएँ केवल बुनियादी ढांचे का विकास नहीं, बल्कि समग्र विकास सहयोग का हिस्सा हैं।
नई व्यापारिक संभावनाएँ
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की कनेक्टिविटी राष्ट्रीय एकीकरण और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। असम, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के लिए भूटान के रास्ते नए व्यापार और सांस्कृतिक अवसर खुलेंगे। बोंगाईगाँव और उत्तर बंगाल के उद्योग अब सीधे भूटानी बाजार से जुड़ेंगे, जिससे दार्जिलिंग-भूटान-असम के बीच रेल मार्ग अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देगा।
चीन की बीआरआई का मुकाबला
इस परियोजना के संदर्भ में एक सवाल यह उठता है कि क्या यह चीन की बीआरआई का जवाब है? चीन का Belt and Road Initiative (BRI) दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार कर रहा है। भूटान ने अब तक बीआरआई से दूरी बनाए रखी है, जो उसकी भारत-केन्द्रित विदेश नीति का हिस्सा है। भारत की यह रेल परियोजना बीआरआई का प्रत्यक्ष विकल्प नहीं है, लेकिन इसे रणनीतिक संतुलन साधने वाला कदम माना जा सकता है।
भारत-भूटान संबंधों का नया आयाम
भारत-भूटान रेल संपर्क केवल ट्रैक बिछाने की परियोजना नहीं है; यह एक साझा भविष्य की रूपरेखा है। यह भूटान को उसकी पहली रेल कनेक्टिविटी देकर आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाएगी और भारत के उत्तर-पूर्व और समूचे दक्षिण एशिया में एक नए सामरिक संतुलन की स्थापना करेगी। यह परियोजना चीन के बीआरआई का बेहतर विकल्प है, जो छोटे हिमालयी राष्ट्रों को स्वतंत्र और आत्मविश्वासी बनाता है।
औपचारिक करार और प्राथमिकता
भारतीय रेलवे और भूटान सरकार के बीच इस संबंध में एक औपचारिक करार हुआ है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इस परियोजना की जानकारी मीडिया के साथ साझा की। भारतीय रेलवे ने कोकराझर-गेलेफू लिंक को 'स्पेशल रेलवे प्रोजेक्ट' (SRP) घोषित किया है, जो इसे प्राथमिकता के आधार पर संसाधन और वित्तीय आवंटन सुनिश्चित करता है। यह परियोजना सीमा पार कनेक्टिविटी को मजबूत करने, राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने और स्थानीय एवं क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।