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भारत-ब्रिटेन का द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास 'कोन्कन 2025': सामरिक संदेश और समुद्री शक्ति का प्रदर्शन

भारत और ब्रिटेन के बीच 'कोन्कन 2025' नामक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ने समुद्री शक्ति प्रदर्शन के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण सामरिक संदेश भी दिया है। इस अभ्यास में दोनों देशों के विमानवाहक पोत, युद्धपोत और लड़ाकू विमान शामिल हैं, जो हिंद महासागर में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों को दर्शाते हैं। ब्रिटिश उच्चायुक्त ने इसे 'स्वतंत्र और खुला इंडो-पैसिफिक' सुनिश्चित करने की साझा प्रतिबद्धता बताया है। इस अभ्यास का उद्देश्य न केवल तकनीकी समन्वय है, बल्कि यह आपसी विश्वास और सुरक्षा सोच को भी मजबूत करता है। जानें इस अभ्यास के पीछे की रणनीति और महत्व के बारे में।
 

द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास का महत्व

भारत और ब्रिटेन के बीच रविवार से शुरू हुआ द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास 'कोन्कन 2025' केवल एक समुद्री शक्ति प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण सामरिक संदेश भी है। पश्चिमी हिंद महासागर में दोनों देशों के विमानवाहक पोतों, युद्धपोतों, पनडुब्बियों और लड़ाकू विमानों की भागीदारी यह दर्शाती है कि यह क्षेत्र अब केवल व्यापारिक गलियारों का नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन का केंद्र बन चुका है।


अभ्यास की संरचना और भागीदारी

इस अभ्यास में भारतीय नौसेना का नेतृत्व विमानवाहक पोत INS विक्रांत कर रहा है, जिसमें मिग-29K लड़ाकू विमान तैनात हैं। वहीं, ब्रिटिश कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का नेतृत्व HMS Prince of Wales कर रहा है, जिसमें F-35B स्टील्थ जेट्स और नॉर्वे तथा जापान के सहयोगी संसाधन शामिल हैं।


राजनयिक प्रतिबद्धता

ब्रिटिश उच्चायुक्त लिंडी कैमरन ने इस अभ्यास को 'स्वतंत्र और खुला इंडो-पैसिफिक' सुनिश्चित करने की साझा प्रतिबद्धता बताया है। यह बयान भारत-यूके के बीच 'विजन 2035' के अंतर्गत उभरते नए रक्षा संबंधों की झलक देता है।


समुद्री अभियानों का समावेश

'कोन्कन' अभ्यास के इस संस्करण में समुद्री अभियानों के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, जैसे एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस, और एंटी-सबमरीन ऑपरेशन। ये सभी अभ्यास तकनीकी समन्वय के साथ-साथ आपसी विश्वास और साझी सुरक्षा सोच का परिणाम हैं।


चीन की बढ़ती सक्रियता के संदर्भ में

यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती नौसैनिक सक्रियता और उसकी 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' रणनीति को लेकर चिंताएँ बनी हुई हैं। भारत और ब्रिटेन का यह संयुक्त प्रदर्शन एक रणनीतिक उत्तर के रूप में देखा जा सकता है।


ब्रिटिश कैरियर ग्रुप का अभियान

ब्रिटिश कैरियर ग्रुप इस समय 'ऑपरेशन हाइमैस्ट' के अंतर्गत आठ महीने के बहुराष्ट्रीय अभियान पर है, जिसमें वह इंडो-पैसिफिक के कई देशों के साथ संयुक्त अभ्यास कर रहा है।


INS विक्रांत की भूमिका

INS विक्रांत की अग्रणी भूमिका यह दर्शाती है कि भारत अब पूर्ण स्वदेशी विमानवाहक पोत संचालन में सक्षम है। यह नौसेना की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है।


अभ्यास का दीर्घकालिक महत्व

'कोन्कन' श्रृंखला के अभ्यास पिछले दो दशकों में आकार और जटिलता में बढ़े हैं, जो दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता और आपसी समझ को गहरा बना चुके हैं।


भारत की नई भूमिका

'कोन्कन 2025' अभ्यास यह स्पष्ट करता है कि भारत अब केवल अपने समुद्री सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि वह हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और स्वतंत्र नेविगेशन का सक्रिय संरक्षक बनने की दिशा में अग्रसर है।