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भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा को मजबूत करने की योजना

भारतीय सेना ने मिजोरम में चौथे सैन्य अड्डे की स्थापना की योजना बनाई है, जिसका मुख्य उद्देश्य सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा को और मजबूत करना है। यह कदम बांग्लादेश और म्यांमार सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच उठाया जा रहा है। इसके साथ ही, सीमा सुरक्षा बल भी पूर्वी सीमा पर सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए कई उपाय कर रहा है। जानें इस सुरक्षा रणनीति के पीछे के कारण और सेना पर बढ़ते दबाव के बारे में।
 

मिजोरम में चौथे सैन्य अड्डे की स्थापना

सांकेतिक तस्वीर

भारतीय सेना ने भारत-बांग्लादेश सीमा के निकट मिजोरम में चौथे सैन्य अड्डे की स्थापना की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करना है। यह क्षेत्र लगभग 22 किलोमीटर चौड़ा है और भारत के मुख्य भूभाग को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण जीवनरेखा है। हाल के समय में बांग्लादेश और म्यांमार सीमा पर बढ़ते तनाव के कारण इस कदम को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

सेना ने पहले ही पश्चिम बंगाल, बिहार और असम में तीन नए सैन्य अड्डे स्थापित किए हैं, जिससे सिलीगुड़ी कॉरिडोर के चारों ओर सुरक्षा का एक घेरा तैयार किया गया है। बांग्लादेश में कई भारत विरोधी ताकतें चिकन नेक के साथ छेड़छाड़ करने की धमकी देती रहती हैं, इसलिए यहां सुरक्षा को मजबूत करना आवश्यक है।

सूत्रों के अनुसार, 19 दिसंबर 2025 को पूर्वी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल आर. सी. तिवारी ने मिजोरम में संभावित स्थलों का दौरा किया था। इस दौरान परवा और सिलसुरी को थर्ड कॉर्प्स की एक बटालियन की तैनाती के लिए महत्वपूर्ण स्थान माना गया है.


BSF की तैयारी

BSF की भी खास तैयारी

साथ ही, सीमा सुरक्षा बल (BSF) भी पूर्वी सीमा पर व्यापक स्तर पर तैयारी कर रहा है। BSF 85 बॉर्डर आउट पोस्ट्स को आधुनिक कंपोजिट हब में अपग्रेड कर रहा है। इसके अतिरिक्त, अगले पांच वर्षों में मिजोरम और कछार सेक्टर में 100 से अधिक बंकर, ब्लास्ट-प्रूफ शेल्टर और अन्य रक्षा ढांचे का निर्माण किया जाएगा, ताकि राज्य और गैर-राज्य खतरों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।

सेना और BSF की ये संयुक्त तैयारियां पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा को मजबूत करने की रणनीति के तहत देखी जा रही हैं, जिससे सिलीगुड़ी कॉरिडोर और सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत की स्थिति और मजबूत होगी।


सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम

भारतीय सेना ने पूर्वोत्तर सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए सिलीगुड़ी कॉरिडोर क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हाल ही में सेना ने धुबरी (असम), किशनगंज (बिहार) और चोपड़ा (पश्चिम बंगाल) में तीन नए सैन्य गैरीसन स्थापित किए हैं।

क्यों लिया गया यह फैसला?

नवंबर 2025 की रक्षा रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश और चीन की ओर से संभावित चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ये निर्णय लिए गए हैं। विशेष रूप से शेख हसीना के बाद क्षेत्रीय हालात में आए बदलाव के चलते इस क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर सतर्कता बढ़ाई गई है।

इसके साथ ही, बांग्लादेश सीमा के निकट मिजोरम में चौथे सैन्य अड्डे की योजना पर विचार चल रहा है। इस प्रस्ताव की समीक्षा 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स कर रहा है, जिसका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता को बढ़ाना है।


सेना पर बढ़ता दबाव

सेना पर अतिरिक्त बढ़ सकता है दबाव

हालांकि, इन नए गैरीसनों के लिए कोर 1, 14, 15 और 16 से जवानों की तैनाती के कारण सेना पर अतिरिक्त दबाव बढ़ सकता है। वर्तमान में भारतीय सेना लगभग 1.8 लाख जवानों की कमी का सामना कर रही है। यह कमी कोविड काल में भर्ती रुकने और अधिक रिटायरमेंट के कारण उत्पन्न हुई है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने अग्निवीर योजना के तहत सालाना भर्ती संख्या को बढ़ाकर 1 लाख करने की योजना बनाई है, ताकि सेना की ताकत और सीमाओं की सुरक्षा दोनों को संतुलित रखा जा सके.