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भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव: जल संधि की समीक्षा और घुसपैठियों पर सख्ती

भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव बढ़ता जा रहा है, खासकर गंगा जल संधि की समीक्षा के बाद। बांग्लादेश को चिंता है कि भारत उसके साथ भी पानी के मामले में सख्ती कर सकता है। असम और महाराष्ट्र सरकारें बांग्लादेशी घुसपैठियों पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठा रही हैं। जानें इस स्थिति का क्या असर हो सकता है और भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं।
 

भारत की ओर से बांग्लादेश को झटके

भारत सरकार बांग्लादेश को लगातार झटके दे रही है, जबकि बांग्लादेश चीन और पाकिस्तान के प्रभाव में आ चुका है। इस स्थिति में, बांग्लादेश को एक ऐसा झटका लगने वाला है, जिससे वहां की स्थिति गंभीर हो सकती है। इसके अलावा, भारत के विभिन्न राज्यों से बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने की प्रक्रिया भी जारी है, जिससे बांग्लादेश के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है।


गंगा जल संधि की समीक्षा

भारत द्वारा गंगा जल संधि की समीक्षा की घोषणा के बाद बांग्लादेश की स्थिति बिगड़ गई है। ढाका को चिंता है कि भारत की तरह वह भी पानी के मामले में संकट का सामना कर सकता है। 1996 में हस्ताक्षरित यह संधि गंगा नदी के जल बंटवारे के लिए महत्वपूर्ण थी, लेकिन अब जनसंख्या वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के कारण इसकी समीक्षा आवश्यक हो गई है।


असम सरकार की नई नीति

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बांग्लादेशी घुसपैठियों पर नियंत्रण के लिए आधार कार्ड जारी करने के नियमों को सख्त करने का निर्णय लिया है। यह कदम अवैध विदेशियों की पहचान और उन्हें देश से बाहर निकालने में मदद करेगा।


महाराष्ट्र सरकार का सर्कुलर

महाराष्ट्र सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को नौकरी देने वाले प्रतिष्ठानों के मालिकों को जिम्मेदार ठहराने की बात कही गई है। यह आदेश राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी किया गया है।


भारत की सख्त कार्रवाई

भारत सरकार ने बांग्लादेश से निर्यात पर नियंत्रण बढ़ा दिया है। हाल ही में, भारत ने बांग्लादेश से कुछ विशेष उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाया है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार में निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।