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भारत ने ‘हिमगिरि’ फ्रिगेट के साथ अपनी समुद्री शक्ति को किया सशक्त

भारत ने अपनी समुद्री शक्ति को और मजबूत करते हुए गुरुवार को ‘हिमगिरि’ नामक स्टील्थ फ्रिगेट को भारतीय नौसेना को सौंपा। यह युद्धपोत देश की गहरे समुद्र में अभियान चलाने की क्षमता को बढ़ाएगा। ‘हिमगिरि’ का निर्माण कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स द्वारा किया गया है और यह प्रोजेक्ट-17A के तहत तीसरा फ्रिगेट है। भारतीय नौसेना के पास अब 140 युद्धपोत हैं, जिनमें से 58 निर्माणाधीन हैं। यह विस्तार भारत की सामरिक स्थिति को मजबूत करेगा, खासकर चीन और पाकिस्तान के बढ़ते समुद्री सहयोग के बीच।
 

भारतीय नौसेना को मिला नया स्टील्थ फ्रिगेट

भारत ने अपनी समुद्री ताकत को और मजबूत करते हुए गुरुवार को स्वदेशी मल्टी-रोल स्टील्थ फ्रिगेट ‘हिमगिरि’ को भारतीय नौसेना को सौंपा। यह इस महीने का दूसरा स्टील्थ युद्धपोत है, जो देश की गहरे समुद्र में अभियान चलाने की क्षमता को बढ़ाएगा। भारतीय नौसेना की तेजी से बढ़ती ताकत न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। ‘हिमगिरि’, ‘उदयगिरि’ और ‘नीलगिरि’ जैसे अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट्स का शामिल होना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में, भारतीय नौसेना के पास आधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस जहाज़ हैं, साथ ही ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलें भी हैं, जिनकी मारक क्षमता 450 किमी तक बढ़ चुकी है। वायु रक्षा के लिए बराक-8 मिसाइल प्रणाली, मल्टी-मिशन क्षमता वाले जहाज़, और उन्नत पनडुब्बियाँ नौसेना को एक ब्लू-वॉटर नेवी बना रही हैं, जो किसी भी समुद्री क्षेत्र में अभियान चलाने में सक्षम है。


नौसेना के विस्तार का महत्व

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय नौसेना के 58 से अधिक जहाज़ और पनडुब्बियाँ वर्तमान में भारतीय शिपयार्ड्स में निर्माणाधीन हैं। यह न केवल रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि घरेलू रक्षा उद्योग और नौसैनिक डिज़ाइन में भारत की बढ़ती दक्षता का भी प्रमाण है। चीन और पाकिस्तान के बढ़ते समुद्री सहयोग तथा हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति के बीच, यह नौसैनिक विस्तार भारत के लिए सामरिक संतुलन बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण साधन है।


आधुनिकीकरण का व्यापक दृष्टिकोण

भारतीय नौसेना का यह आधुनिकीकरण केवल हार्डवेयर तक सीमित नहीं है; यह स्वावलंबन, तकनीकी प्रगति और वैश्विक समुद्री शक्ति बनने की दिशा में भारत के आत्मविश्वास का संदेश देता है। आने वाले वर्षों में यह शक्ति न केवल सीमाओं की सुरक्षा में बल्कि समुद्री व्यापार मार्गों और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।


हिमगिरि का निर्माण और विशेषताएँ

जहां तक ‘हिमगिरि’ की बात है, यह 6,670 टन वजनी युद्धपोत कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित किया गया है। इसका पूर्ववर्ती ‘उदयगिरि’ एक जुलाई को मुंबई स्थित मझगांव डॉक (MDL) द्वारा नौसेना को सौंपा गया था। दोनों युद्धपोतों को अगस्त के अंत तक एक साथ कमीशन करने की योजना है। ‘हिमगिरि’ 149 मीटर लंबा है और यह प्रोजेक्ट-17A के तहत बनाए जा रहे सात फ्रिगेट्स में तीसरा है। इन सातों में चार का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक और तीन का निर्माण कोलकाता के GRSE शिपयार्ड में किया जा रहा है। इस परियोजना की कुल लागत 45,000 करोड़ रुपये है। जनवरी में पहला फ्रिगेट INS नीलगिरि कमीशन किया जा चुका है, जबकि बाकी चार को 2026 के अंत तक नौसेना को सौंपा जाएगा।


उन्नत तकनीक और सामरिक लाभ

ये मल्टी-मिशन फ्रिगेट्स अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस हैं, जिनमें प्रमुख है ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जिसकी मारक क्षमता 290 किमी से बढ़ाकर 450 किमी कर दी गई है। वायु रक्षा के लिए इन फ्रिगेट्स को इस्राइली मूल की बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली से लैस किया गया है, जो लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों को 70 किमी की दूरी से मार गिराने में सक्षम है।


नौसेना की बढ़ती ताकत

नौसेना अधिकारियों के अनुसार, “ये फ्रिगेट्स नौसैनिक डिज़ाइन, स्टील्थ तकनीक, मारक क्षमता, स्वचालन और सर्वाइवेबिलिटी में एक क्वांटम लीप का प्रतीक हैं और युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भरता का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।” वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास 140 युद्धपोत हैं, जिनमें से 58 जहाज और पोत भारतीय शिपयार्ड्स में निर्माणाधीन हैं, जिन पर 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी। इसके अलावा 31 और युद्धपोत योजना चरण में हैं। यह नौसैनिक विस्तार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान और चीन के बीच समुद्री सहयोग लगातार गहराता जा रहा है।


सामरिक संतुलन और सुरक्षा

‘हिमगिरि’ और ‘उदयगिरि’ जैसे उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट्स भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में सामरिक बढ़त देंगे, साथ ही चीन-पाकिस्तान के बढ़ते समुद्री गठजोड़ के बीच सुरक्षा संतुलन भी स्थापित करेंगे। ये युद्धपोत भारत की गहरे समुद्र में शक्ति-प्रदर्शन की क्षमता को मजबूत करेंगे, जिससे न केवल व्यापारिक समुद्री मार्ग सुरक्षित होंगे, बल्कि संभावित आक्रामकता को भी रोका जा सकेगा।


नौसेना में शामिल होने का महत्व

‘हिमगिरि’ का नौसेना में शामिल होना भारतीय नौसैनिक शक्ति को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाला कदम है। यह न केवल भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को और भी सशक्त बनाएगा।