×

भारत ने रूस से तेल आयात में कमी की, अमेरिका और मध्य पूर्व की ओर बढ़ा

भारत ने अपनी ऊर्जा नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जिसमें रूस से तेल आयात में कमी आई है। व्यापारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत अब अमेरिका और मध्य पूर्व की ओर बढ़ रहा है। इस बदलाव के पीछे रूस से मिलने वाली छूट में कमी और अमेरिका का बढ़ता दबाव शामिल है। जानें इस बदलाव के कारण और इसके प्रभावों के बारे में।
 

भारत की ऊर्जा नीति में बदलाव

भारत ने रूस से तेल खरीदने में कमी की है!

भारत की ऊर्जा नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले, भारत रूस से कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक था, लेकिन अब स्थिति बदल रही है। व्यापारिक स्रोतों और शिपिंग डेटा के अनुसार, भारत का रूस से तेल आयात लगातार घट रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में रूस से तेल की खरीद में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.4% की कमी आई है।


रूसी तेल की अपील में कमी

रूसी तेल का आकर्षण कम हुआ

भारत ने रूस से तेल खरीद में कमी की है, इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, रूस से मिलने वाले तेल पर जो भारी छूट मिलती थी, वह अब पहले जैसी नहीं रही। छूट में कमी के कारण भारतीय रिफाइनरियों के लिए यह सौदा अब उतना लाभकारी नहीं रहा। दूसरा, सप्लाई में कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण है। इन दोनों कारणों ने भारतीय तेल कंपनियों को नए विकल्पों की तलाश करने पर मजबूर किया है, और उन्होंने मध्य पूर्व और अमेरिका जैसे पारंपरिक बाजारों की ओर रुख किया है। आंकड़ों के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में भारत ने रूस से औसतन 1.75 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल का आयात किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है।


अमेरिका का दबाव

व्यापारिक दबाव का असर

इस मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू अमेरिका का बढ़ता दबाव है। वॉशिंगटन लगातार नई दिल्ली पर यह दबाव बना रहा है कि वह रूस से तेल की खरीद कम करे। अमेरिकी व्यापार सलाहकार ने यह भी कहा है कि भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद मॉस्को के युद्ध को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। अमेरिका ने भारतीय सामानों पर टैरिफ भी बढ़ा दिए हैं, और इसे कम करने के लिए रूस से तेल खरीद में कटौती को एक शर्त के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिकी व्यापार सचिव ने स्पष्ट किया है कि भारत को अपने कच्चे तेल की खरीद में संतुलन लाना होगा, जिसका अर्थ है कि उसे अमेरिकी तेल की खरीद बढ़ानी होगी।


आंकड़ों का विश्लेषण

सितंबर के आंकड़े

अगर हम सितंबर के आंकड़ों पर ध्यान दें, तो भारत ने रूस से 1.6 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल खरीदा, जो अगस्त के समान है, लेकिन पिछले वर्ष सितंबर की तुलना में 14.2% कम है। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान निजी रिफाइनरियों ने रूस से आयात बढ़ाया, जबकि सरकारी रिफाइनरियों ने अपनी खरीद कम की।

इसके विपरीत, अप्रैल से सितंबर के बीच भारत का अमेरिका से कच्चे तेल का आयात पिछले वर्ष की तुलना में 6.8% बढ़कर लगभग 213,000 बैरल प्रतिदिन हो गया। यह स्पष्ट करता है कि भारत अपनी तेल की टोकरी में विविधता ला रहा है। कुल मिलाकर, भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 40% से घटकर लगभग 36% रह गई है, जबकि मध्य पूर्व की हिस्सेदारी 42% से बढ़कर 45% हो गई है। इससे OPEC देशों की कुल हिस्सेदारी भी 45% से बढ़कर 49% पर पहुंच गई है, जो दर्शाता है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं पर फिर से भरोसा कर रहा है।