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भारत ने चीनी सैटेलाइट्स पर लगाया प्रतिबंध, सुरक्षा को प्राथमिकता

भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए चीनी सैटेलाइट्स के उपयोग पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। इस कदम का सीधा असर कई प्रमुख ब्रॉडकास्टर्स पर पड़ेगा, जिन्हें अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए अन्य सैटेलाइट्स की ओर रुख करना होगा। जानें इस निर्णय के पीछे की वजहें और ब्रॉडकास्टर्स की तैयारी के बारे में।
 

भारत का सख्त निर्णय

भारत ने चीनी सैटेलाइट्स से दूरी बनाई


भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। नई दिल्ली ने चीन से संबंधित सैटेलाइट्स के उपयोग पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। इस कदम का प्रभाव देश के कई प्रमुख ब्रॉडकास्टर्स और टेलीपोर्ट ऑपरेटरों पर पड़ेगा, जिन्हें अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए अन्य सैटेलाइट्स की ओर रुख करना होगा।


चीन के सैटेलाइट्स पर रोक

यह निर्णय भू-राजनीतिक अस्थिरता के बीच भारत के सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए लिया गया है। भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के नियामक, IN-SPACe ने चीन के Chinasat और हांगकांग स्थित ApStar और AsiaSat के प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है। ये कंपनियां भारतीय फर्मों को अपनी सैटेलाइट सेवाएं प्रदान करना चाहती थीं। इस निर्णय से AsiaSat को सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जो पिछले 33 वर्षों से भारत में कार्यरत है।


ब्रॉडकास्टर्स की तैयारी

इस निर्णय का मतलब है कि JioStar और Zee जैसे प्रमुख ब्रॉडकास्टर्स को मार्च 2025 तक AsiaSat 5 और 7 को छोड़कर अन्य सैटेलाइट्स पर स्थानांतरित होना होगा। सूत्रों के अनुसार, सेवाओं में कोई रुकावट न आए, इसके लिए इन कंपनियों ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। Zee ने पुष्टि की है कि उसने अपनी सेवाएं GSAT-30, GSAT-17 और इंटेलसैट-20 जैसे सैटेलाइट्स पर स्थानांतरित कर दी हैं।


AsiaSat की गुहार

दूसरी ओर, AsiaSat भारत में अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए नियामक से लगातार बातचीत कर रही है। Inorbit Space के MD राजदीपसिंह गोहिल ने कहा कि उन्होंने IN-SPACe के शीर्ष प्रबंधन के साथ कई बैठकें की हैं। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि 33 वर्षों से भारत में सेवा देने के बावजूद उन्हें लंबी अवधि की मंजूरी क्यों नहीं दी जा रही है।


आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

यह मामला अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़े नियामक परिवर्तन का हिस्सा है। नए नियमों के अनुसार, सभी विदेशी सैटेलाइट्स को भारत में कार्य करने के लिए IN-SPACe से मंजूरी लेनी होगी। जबकि अन्य विदेशी कंपनियों को मंजूरी मिल गई है, चीनी लिंक वाली कंपनियों को बाहर रखा जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि पहले भारत में सैटेलाइट क्षमता की कमी थी, लेकिन अब GSAT के कारण घरेलू क्षमता पर्याप्त है।