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भारत ने आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम बढ़ाया: INS उदयगिरी और INS हिमगिरी का जलावतरण

भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए INS उदयगिरी और INS हिमगिरी का जलावतरण किया। यह दो युद्धपोत, जो दो अलग-अलग शिपयार्ड में बने हैं, भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन जहाजों में आधुनिक तकनीक और स्वदेशी हथियार प्रणाली शामिल हैं, जो भारत की समुद्री शक्ति को मजबूत करेंगे। जानें इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे की कहानी और इसके आर्थिक-सामाजिक प्रभाव।
 

नौसेना की क्षमता में वृद्धि

भारत ने नौसेना की क्षमताओं और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को भारतीय नौसेना में दो उन्नत स्टेल्थ फ्रिगेट्स, INS उदयगिरी और INS हिमगिरी, का औपचारिक जलावतरण किया। यह पहली बार है जब दो प्रमुख युद्धपोत, जो दो अलग-अलग शिपयार्ड में बने हैं, एक ही दिन में कमीशन किए गए हैं। यह उपलब्धि भारत के स्वदेशी युद्धपोत निर्माण में एक नई छलांग का प्रतीक है।


प्रोजेक्ट 17A का महत्व

यह दोहरी कमीशनिंग न केवल भारत के पूर्वी समुद्री तट की रणनीतिक महत्वता को दर्शाती है, बल्कि यह मुंबई के मजगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) जैसे प्रमुख शिपयार्ड के बीच बेहतर समन्वय का भी प्रमाण है।


आधुनिक तकनीक से लैस

INS उदयगिरी और INS हिमगिरी को संयुक्त डीजल या गैस (CODOG) प्रणोदन प्रणाली, एक अत्याधुनिक एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली, और स्वदेशी हथियारों और सेंसर से लैस किया गया है। इन युद्धपोतों में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मिसाइलें, 76 मिमी तोपें, और 30 मिमी और 12.7 मिमी के निकटवर्ती हथियार प्रणाली शामिल हैं। ये जहाज गहरे समुद्र (ब्लू वॉटर) संचालन के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।


तेज निर्माण और गौरवमयी विरासत

MDL द्वारा निर्मित INS उदयगिरी अपनी श्रेणी का सबसे तेज युद्धपोत है, जो मॉड्यूलर निर्माण तकनीक के कारण संभव हुआ है। GRSE कोलकाता में निर्मित INS हिमगिरी भी स्वदेशी गुणवत्ता का उच्च स्तर प्रदर्शित करता है।


आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

प्रोजेक्ट 17A का प्रभाव केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने देशभर में लगभग 4,000 प्रत्यक्ष और 10,000 से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन किया है। इस परियोजना में 200 से अधिक MSMEs सक्रिय रूप से शामिल हैं, जिसने भारत की औद्योगिक संरचना को भी मजबूत किया है।


पूर्वी नौसेना कमान को मजबूती

INS उदयगिरी और हिमगिरी अब भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े का हिस्सा बनेंगे, जो भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री शक्ति और संचालन क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगे। यह क्षेत्र आज के बदलते वैश्विक परिदृश्य में अत्यधिक रणनीतिक महत्व रखता है।


आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम

इस ऐतिहासिक दोहरी कमीशनिंग के माध्यम से, भारत ने एक बार फिर से एक आधुनिक, आत्मनिर्भर और सशक्त नौसेना के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साबित किया है, जो न केवल देश के समुद्री हितों की रक्षा कर सकेगी, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगी।