भारत ने FTA के माध्यम से अमेरिकी टैरिफ का सामना करने की योजना बनाई
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की दिशा में भारत की नई पहल
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
अमेरिका द्वारा आयात पर लगाए गए उच्च टैरिफ के चलते, भारत ने अपने निर्यात को सुरक्षित और सशक्त बनाने के लिए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। आने वाले महीनों में, भारत कई देशों के साथ नए व्यापार समझौतों की योजना बना रहा है, जिससे अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके और नए निर्यात बाजारों का निर्माण किया जा सके।
सूत्रों के अनुसार, भारत इस समय यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड और चिली जैसे देशों के साथ समझौते के अंतिम चरण में है। इसके अलावा, ओमान के साथ FTA पर इस सप्ताह हस्ताक्षर होने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समझौते के लिए मस्कट में उपस्थित रह सकते हैं।
इंजीनियरिंग और टेक्सटाइल क्षेत्र को मिलेगा लाभ
भारत-ओमान समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है। इसमें इंजीनियरिंग सामान, टेक्सटाइल, दवा और कृषि उत्पादों के निर्यात को विशेष लाभ मिलने की उम्मीद है। FTA भारत की आर्थिक रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनते जा रहे हैं, जिनके माध्यम से भारत वैश्विक सप्लाई चेन में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है, निर्यात में वृद्धि करना चाहता है और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना चाहता है।
अमेरिकी टैरिफ का बढ़ता दबाव
अमेरिका ने अगस्त में 50% आयात शुल्क लागू किया, जिससे भारत के कई क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। टेक्सटाइल, ऑटो कंपोनेंट्स, धातु और छोटे उद्योग इस टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इसी कारण, भारत अब FTA को एक रणनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग कर रहा है, ताकि अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
कई देशों के साथ चल रही बातचीत
भारत इस समय 26 देशों के साथ 15 FTA और 26 देशों के साथ 6 प्रिफरेंशल ट्रेड एग्रीमेंट पर काम कर रहा है। इसके अलावा, 50 से अधिक देशों के साथ बातचीत जारी है। हाल ही में, भारत ने यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौते किए हैं, जिसका सकारात्मक प्रभाव दोनों देशों के बीच व्यापार पर पड़ा है।
चुनौतियों का सामना
हालांकि, FTA की प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ भी हैं। भारत को अपने छोटे किसानों और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा, जबकि अन्य देश अधिक बाजार की मांग कर रहे हैं। कुल मिलाकर, भारत आने वाले समय में व्यापार समझौतों के माध्यम से निर्यात बढ़ाने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।