भारत-चीन सीमा विवाद: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद
भारत और चीन के बीच का सीमा विवाद एक जटिल और ऐतिहासिक समस्या है, जो औपनिवेशिक युग से चली आ रही है। दोनों देशों के बीच लगभग 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहा जाता है। यह सीमा पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, जिसके कारण यहां अक्सर तनाव और झड़पें होती रहती हैं।
सीमा के क्षेत्र
यह सीमा पश्चिमी, मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में विभाजित है, जिसमें लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक के इलाके शामिल हैं। यह सीमा पांच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से जुड़ी हुई है।
तीन प्रमुख क्षेत्र
- पश्चिमी क्षेत्र (लद्दाख): यह क्षेत्र लद्दाख और चीन के शिनजियांग तथा तिब्बत स्वायत्त क्षेत्रों के बीच फैला हुआ है, जिसकी लंबाई 1,597 किलोमीटर है।
- मध्य क्षेत्र (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड): यह क्षेत्र हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से जुड़ा हुआ है, जिसकी लंबाई 545 किलोमीटर है।
- पूर्वी क्षेत्र (सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश): यह क्षेत्र सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से संबंधित है, जिसकी लंबाई 1,346 किलोमीटर है। यह क्षेत्र मैकमोहन रेखा से प्रभावित है।
विवादित क्षेत्र
सबसे बड़ा विवाद लद्दाख के अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को लेकर है।
- अक्साई चिन: यह क्षेत्र लद्दाख के उत्तर-पूर्व में स्थित है और इसका क्षेत्रफल लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर है। भारत इसे अपना हिस्सा मानता है, जबकि 1962 के युद्ध के बाद से यह चीन के नियंत्रण में है।
- अरुणाचल प्रदेश: चीन इसे दक्षिणी तिब्बत मानता है। यह क्षेत्र लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है और इसका विवाद मैकमोहन रेखा को लेकर है।
- इसके अलावा, गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो झील और डोकलाम जैसे क्षेत्र भी चर्चा में रहते हैं।
- पैंगोंग त्सो झील: यह झील 134 किलोमीटर लंबी है और इसका 45 किलोमीटर हिस्सा भारत में है।
- डोकलाम: यह क्षेत्र भारत, चीन और भूटान के त्रि-जंक्शन पर स्थित है।
- गलवान घाटी: यह लद्दाख और अक्साई चिन के बीच है, जहां 2020 में हिंसक झड़प हुई थी।
1962 से अब तक की घटनाएँ
सीमा विवाद की जड़ें औपनिवेशिक काल में हैं। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद से तनाव बढ़ा है। 2020 में गलवान घाटी में झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे। इसके बाद कई दौर की बातचीत हुई।
2024 में एक नया समझौता हुआ, जिसमें LAC पर सैनिकों की वापसी और अस्थायी ढांचे हटाने पर सहमति बनी।
वर्तमान स्थिति
हाल ही में भारतीय रक्षा मंत्री और चीन के रक्षा मंत्री के बीच मुलाकात हुई, जिसमें सीमा के स्थायी समाधान और तनाव कम करने पर चर्चा हुई। दोनों देशों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू की है।
भविष्य की दिशा
भारत और चीन के बीच कई समझौते हो चुके हैं, लेकिन LAC का सीमांकन अभी तक पूरा नहीं हुआ है। स्थायी समाधान तभी संभव होगा जब दोनों देश आपसी विश्वास और कूटनीतिक समझ दिखाएंगे।