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भारत के स्कूलों में सैन्य और अंतरिक्ष उपलब्धियों का नया पाठ्यक्रम

भारत के स्कूली पाठ्यक्रम में अब सैन्य शक्ति, अंतरिक्ष में उपलब्धियों और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को शामिल किया जाएगा। NCERT द्वारा तैयार किए जा रहे नए मॉड्यूल में 'ऑपरेशन सिंदूर', चंद्रयान और आदित्य एल1 जैसे महत्वपूर्ण विषयों का समावेश होगा। यह पाठ्यक्रम छात्रों को भारत की सामरिक शक्ति और विज्ञान के प्रति जिज्ञासा जगाने के उद्देश्य से बनाया गया है। हरियाणा और उत्तराखंड के मंत्रियों ने इस पहल का स्वागत किया है, जो छात्रों को देश की सुरक्षा और पर्यावरण के प्रति जागरूक करेगा।
 

नई शिक्षा पहल

अब भारतीय स्कूली बच्चे देश की सैन्य शक्ति, अंतरिक्ष में उसकी प्रगति और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के बारे में अपने पाठ्यक्रम में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) जल्द ही अपने पाठ्यक्रम में 'ऑपरेशन सिंदूर', 'मिशन लाइफ' और भारत के प्रमुख अंतरिक्ष अभियानों जैसे चंद्रयान और आदित्य एल1 के साथ-साथ भारतीय वायुसेना के पायलट शुभांशु शुक्ला के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन मिशन को शामिल करने जा रहा है।


पाठ्यक्रम का ढांचा

दो भागों में नया पाठ्यक्रम
यह नया पाठ्यक्रम दो भागों (मॉड्यूल) में तैयार किया जा रहा है: पहला कक्षा 3 से 8 के छात्रों के लिए और दूसरा कक्षा 9 से 12 के छात्रों के लिए। प्रत्येक मॉड्यूल लगभग आठ से दस पन्नों का होगा, जिसमें भारत की सैन्य और रणनीतिक यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ावों का वर्णन किया जाएगा। इसमें यह भी बताया जाएगा कि कैसे पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया गया था।


युवाओं को जागरूक करना

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इसका उद्देश्य युवाओं को भारत की सैन्य ताकत, सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों और विभिन्न मंत्रालयों के बीच तालमेल की राष्ट्रीय सुरक्षा में भूमिका के बारे में जानकारी देना है।' हालांकि, 'ऑपरेशन सिंदूर' से जुड़ी विशेष जानकारी गोपनीय रखी जाएगी, लेकिन इसे भारत की सामरिक शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए एक केस स्टडी के रूप में उपयोग किया जाएगा।


इतिहास और अंतरिक्ष की उपलब्धियां

विभाजन और अंतरिक्ष में प्रगति
सूत्रों के अनुसार, पाठ्यक्रम में भारत-पाकिस्तान विभाजन की भयावहता पर भी एक मॉड्यूल होगा। यह छात्रों को भारत की आजादी के दर्दनाक इतिहास और उसके बाद की चुनौतियों के बारे में जानकारी देगा।
ये मॉड्यूल भारत के एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभरने को भी दर्शाएंगे, जिसमें चंद्रयान और आदित्य एल1 जैसे ऐतिहासिक मिशनों का उल्लेख होगा। साथ ही, भारतीय वायुसेना के पायलट शुभांशु शुक्ला के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर हाल ही में पहुंचने (एक्सिओम मिशन 4) के ऐतिहासिक पड़ाव को भी शामिल किया जाएगा। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा जगाना और उन्हें प्रेरित करना है।


पर्यावरण संरक्षण का महत्व

पर्यावरण संरक्षण भी पाठ्यक्रम का हिस्सा
सैन्य और अंतरिक्ष उपलब्धियों के अलावा, इन मॉड्यूलों में 'मिशन लाइफ' पर भी जानकारी होगी। यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का एक विशेष कार्यक्रम है। छात्रों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने और पर्यावरण को बचाने में इस मिशन की अहमियत के बारे में बताया जाएगा।
अधिकारी ने कहा, 'इन मॉड्यूलों का उद्देश्य रक्षा से लेकर कूटनीति, सतत विकास से लेकर अंतरिक्ष खोज तक - सभी क्षेत्रों में भारत की प्रगति का एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करना है।' शिक्षा मंत्रालय ने इन मॉड्यूलों के लॉन्च की कोई निश्चित तारीख नहीं बताई है, लेकिन उम्मीद है कि इन्हें जल्द ही स्कूलों में लागू किया जाएगा।


समर्थन की आवाजें

हरियाणा और उत्तराखंड से मिला समर्थन
एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यपुस्तकों में 'ऑपरेशन सिंदूर' को शामिल करने पर हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने इसे एक 'बहुत अच्छा प्रयास' बताया है। उन्होंने कहा, 'हमारी वीर गाथाएं, कैसे हमने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए पाकिस्तान को कड़ी टक्कर दी, यह सब बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए।'
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ़्ती शमून क़ासमी ने भी इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'हम मदरसों में छात्रों को 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में पढ़ाएंगे और इसे पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे।'