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भारत के सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस योजना का उद्देश्य अवैध प्रवास और जनसंख्या संरचना में बदलाव को रोकना है। अमित शाह ने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अतिक्रमण हटाएँ और विकास योजनाओं को लागू करें। यह कार्यक्रम सीमाओं पर बसे गांवों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास कर रहा है, जिससे पलायन को रोका जा सके। जानें इस योजना के पीछे के उद्देश्य और इसके संभावित प्रभाव।
 

सीमाओं पर जनसंख्या संरचना में बदलाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया था कि सीमा से सटे गांवों में अवैध प्रवास के कारण जनसंख्या संरचना में बदलाव आ रहा है। यह केवल भौगोलिक कारणों से नहीं, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है। इसी संदर्भ में गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) कार्यशाला में महत्वपूर्ण संकेत दिए।


अमित शाह का बयान

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सीमा क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन केवल सामाजिक या प्राकृतिक प्रवाह का परिणाम नहीं हैं, बल्कि यह एक नियोजित प्रयास है। उन्होंने बताया कि धार्मिक संरचनाओं और अवैध कब्जों के माध्यम से स्थानीय जनसंख्या संतुलन को बदलने की कोशिश की जा रही है, जिससे दीर्घकालिक सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, उन्होंने गुजरात में भूमि और समुद्री सीमा क्षेत्रों से अवैध अतिक्रमण हटाने का उल्लेख किया।


वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का उद्देश्य

अमित शाह ने जिलाधिकारियों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) को निर्देश दिया कि वे सीमा से 30 किलोमीटर तक के क्षेत्र में अतिक्रमण और अवैध ढांचों को हटाएँ। इसके साथ ही, अवैध प्रवास और बस्तियों पर सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि CAPFs और जिला प्रशासन को मिलकर विकास योजनाओं को पूर्ण रूप से लागू करना चाहिए। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का लक्ष्य केवल बुनियादी ढाँचा निर्माण नहीं है, बल्कि सीमा क्षेत्रों के गांवों को राष्ट्रीय सुरक्षा में शामिल करना है।


वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की जानकारी

यह केंद्र प्रायोजित योजना उत्तरी सीमा से सटे राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2,967 गांवों के विकास के लिए बनाई गई है। प्रधानमंत्री ने अक्टूबर 2023 में उत्तराखंड के माणा गांव में कहा था कि सीमाओं पर बसे गांवों को आखिरी गांव नहीं, बल्कि पहला गांव माना जाना चाहिए।


सरकार का कदम

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम सीमावर्ती गांवों की तकदीर बदलने का प्रयास कर रहा है। यह कदम उत्तरी सीमा के सामरिक महत्व को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण है। इससे इन गांवों में आजीविका सुनिश्चित हो रही है, जिससे पलायन को रोकने में मदद मिल रही है।


आर्थिक विकास और सामाजिक सशक्तिकरण

इस योजना का उद्देश्य स्थानीय संसाधनों के आधार पर आर्थिक प्रेरकों की पहचान करना और सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देना है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा, सभी मौसमों के अनुकूल सड़कें, पेयजल, और स्वास्थ्य एवं वेलनेस सेंटर का विकास किया जा रहा है।


जनसंख्या सुरक्षा का महत्व

अमित शाह ने अरुणाचल प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि VVP लागू होने के बाद सीमा गांवों की आबादी बढ़ी है। यह दर्शाता है कि यदि मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ, तो लोग पलायन नहीं करेंगे। सीमा सुरक्षा केवल बंकरों और हथियारों से नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण से भी सुनिश्चित की जा सकती है।


राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौती

केंद्रीय गृहमंत्री और प्रधानमंत्री के वक्तव्यों से स्पष्ट है कि भारत सीमा क्षेत्रों में जनसंख्यात्मक बदलाव को एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती मानता है। इसका समाधान विकास और भागीदारी आधारित मॉडल से संभव है। यदि VVP को व्यापक दृष्टिकोण से लागू किया गया, तो ये सीमावर्ती गांव केवल भौगोलिक सीमाएँ नहीं, बल्कि संस्कृति और सुरक्षा की जीवंत चौकियाँ बन जाएँगे।