भारत के शहरों में ट्रैफिक संकट: कोलकाता और बंगलूरू की स्थिति
भारत के ट्रैफिक संकट का हाल
भारत के प्रमुख शहरों में ट्रैफिक की भीड़भाड़ एक गंभीर समस्या बन गई है। कोलकाता और बंगलूरू, जो अपने भीषण यातायात के लिए प्रसिद्ध हैं, अब वैश्विक स्तर पर धीमी गति से चलने वाले ट्रैफिक वाले शीर्ष चार शहरों में शामिल हो गए हैं।
कोलकाता का ट्रैफिक हालात
कोलकाता को दुनिया का दूसरा सबसे धीमा शहर माना गया है। वहीं, बंगलूरू और पुणे क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। 2024 के टॉमटॉम ट्रैफिक इंडेक्स के अनुसार, कोलकाता ने बंगलूरू को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे भीड़भाड़ वाला शहर बनने का गौरव प्राप्त किया है। यहाँ 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में औसतन 33 मिनट से अधिक का समय लगता है।
बंगलूरू और पुणे की चुनौतियाँ
बंगलूरू और पुणे: ट्रैफिक चुनौतियों का सामना कर रहे टेक हब
बंगलूरू, जिसे भारत की सिलिकॉन वैली कहा जाता है, में भी 10 किलोमीटर की यात्रा में औसतन 33 मिनट से अधिक का समय लगता है। यहाँ की तेजी से बढ़ती टेक इंडस्ट्री ने रोजाना आने-जाने वालों की संख्या में वृद्धि की है, जिससे सड़क नेटवर्क पर दबाव बढ़ गया है। इसी तरह, पुणे भी इसी प्रकार की यातायात समस्याओं का सामना कर रहा है।
वैश्विक संदर्भ
वैश्विक संदर्भ और निहितार्थ
लंदन, क्योटो, लीमा और डबलिन जैसे अन्य शहर भी धीमी गति से चलने वाले ट्रैफिक वाले प्रमुख शहरों में शामिल हैं। भारत में, हैदराबाद और चेन्नई क्रमशः चौथे और पांचवें स्थान पर हैं, जबकि मुंबई और अहमदाबाद छठे और सातवें स्थान पर हैं।
समाधान की दिशा में कदम
ट्रैफिक संकट का समाधान
भारतीय शहरों में ट्रैफिक की भीड़भाड़ से उत्पादकता और निवासियों की जीवन गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस समस्या को हल करने के लिए, शहरी योजनाकार और नीति निर्माता निम्नलिखित उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं:
सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना: सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की दक्षता और पहुंच में सुधार करने के लिए निवेश किया जा रहा है।
ट्रैफिक प्रबंधन समाधान लागू करना: स्मार्ट यातायात प्रबंधन प्रणालियों को लागू किया जा रहा है।
स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देना: साइकिल, पैदल चलने और कारपूलिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है।