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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में अभूतपूर्व वृद्धि

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार हाल ही में 693.318 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है, जो 4.368 बिलियन डॉलर की वृद्धि दर्शाता है। इस वृद्धि के पीछे सोने के भंडार में वृद्धि और विदेशी मुद्रा संपत्तियों का बढ़ता मूल्य है। जानें कि यह वृद्धि देश की आर्थिक स्थिति और मुद्रा विनिमय दर को कैसे प्रभावित करती है।
 

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में, 19 दिसंबर 2025 को समाप्त हुए सप्ताह में, यह 4.368 बिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ 693.318 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है।


पिछले सप्ताह में, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 688.94 बिलियन डॉलर था, जिसमें 1.689 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 19 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा संपत्तियों का मूल्य 1.641 बिलियन डॉलर बढ़कर 559.428 बिलियन डॉलर हो गया है।


इस दौरान, सोने के भंडार में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। केंद्रीय बैंक के पास सोने का भंडार 2.623 बिलियन डॉलर बढ़कर 110.365 बिलियन डॉलर हो गया है। इसके अलावा, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) का मूल्य 8 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.744 बिलियन डॉलर हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रिजर्व स्थिति की हिस्सेदारी 95 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.782 बिलियन डॉलर हो गई है।


किसी भी देश के लिए उसका विदेशी मुद्रा भंडार अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह उस देश की आर्थिक स्थिति को दर्शाता है। यह मुद्रा विनिमय दर को स्थिर रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, यदि डॉलर के मुकाबले रुपये पर दबाव बढ़ता है और उसकी वैल्यू कम होती है, तो केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग कर रुपये को गिरने से रोक सकता है। बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार यह भी संकेत देता है कि देश में डॉलर की आवक बनी हुई है, जो अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है।