भारत के रहस्यमयी मंदिर: जहां प्रसाद लेना है अशुभ
भारत के रहस्यमयी मंदिरों का रहस्य
इन मंदिरों का प्रसाद ग्रहण करना है मना
भारत के रहस्यमयी मंदिर: भारत को मंदिरों का देश माना जाता है। यहां हर कोने में ऐसे मंदिर हैं जो अपनी अद्भुत परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। भक्तजन भगवान के दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं, पूजा करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। इसके बाद पुजारी द्वारा दिया गया प्रसाद भक्तों द्वारा ग्रहण किया जाता है और घर ले जाया जाता है।
धार्मिक ग्रंथों में मंदिर का प्रसाद लेना शुभ माना गया है, लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां का प्रसाद छूना या लेना अशुभ माना जाता है। आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में और उनके पीछे की मान्यताएं।
कोटिलिंगेश्वर मंदिर, कर्नाटक
कोटिलिंगेश्वर मंदिर में एक करोड़ शिवलिंग हैं, जो कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित है। यहां पूजा के बाद जो प्रसाद मिलता है, उसे केवल प्रतीकात्मक रूप से स्वीकार किया जाता है। इसे घर ले जाना या खाना अशुभ माना जाता है, खासकर शिवलिंग के ऊपर से आया प्रसाद।
नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश का नैना देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता का प्रसाद केवल मंदिर में ही ग्रहण करने की मान्यता है। घर ले जाने पर इसे अशुभ माना जाता है।
काल भैरव मंदिर, उज्जैन
उज्जैन का काल भैरव मंदिर भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भैरव बाबा को शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है। यह प्रसाद केवल भगवान के लिए होता है और इसे घर नहीं लाना चाहिए।
कामख्या देवी मंदिर, असम
गुवाहाटी में स्थित कामख्या देवी मंदिर को शक्ति पीठों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। यहां देवी की पूजा मासिक धर्म के दौरान तीन दिनों तक बंद रहती है, और इस समय भक्तों को प्रसाद लेने की अनुमति नहीं होती।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान
यह मंदिर बजरंगबली को समर्पित है और यहां दर्शन करने से बुरी आत्माओं से मुक्ति मिलती है। यहां का प्रसाद खाना या घर ले जाना अपशकुन माना जाता है। भक्त केवल भगवान को अर्पित प्रसाद को देख सकते हैं।
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