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भारत के मुख्य न्यायाधीश का क्रीमी लेयर पर बयान: अनुसूचित जातियों के आरक्षण में बदलाव की आवश्यकता

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अनुसूचित जातियों के आरक्षण में क्रीमी लेयर को शामिल न करने के अपने विचार को स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि एक आईएएस अधिकारी के बच्चों की स्थिति की तुलना गरीब खेतिहर मजदूर के बच्चों से नहीं की जा सकती। इसके अलावा, उन्होंने संविधान में संशोधन की प्रक्रिया पर भी अपने विचार साझा किए। जानें उनके विचार और महिला सशक्तिकरण पर उनके दृष्टिकोण के बारे में।
 

मुख्य न्यायाधीश का क्रीमी लेयर पर विचार

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने स्पष्ट किया है कि वह अनुसूचित जातियों के आरक्षण में क्रीमी लेयर को शामिल करने के खिलाफ हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के अमरावती में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि एक आईएएस अधिकारी के बच्चों की स्थिति की तुलना एक गरीब खेतिहर मजदूर के बच्चों से नहीं की जा सकती। गवई ने यह भी कहा कि क्रीमी लेयर की अवधारणा को लागू किया जाना चाहिए, जैसा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए किया गया है, हालांकि इस विचार के लिए उन्हें व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा।


महिलाओं के सशक्तिकरण और समानता पर जोर

मुख्य न्यायाधीश ने यह भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में देश में समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रगति हुई है, और इस संदर्भ में भेदभाव की कड़ी आलोचना की गई है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने आंध्र प्रदेश के अमरावती में अंतिम समारोह में भाग लिया, जबकि मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद उनका पहला समारोह भी महाराष्ट्र के अमरावती में था। गवई ने 2024 में राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में क्रीमी लेयर की पहचान करने और उन्हें आरक्षण का लाभ देने से इनकार करने के लिए नीति बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।


संविधान में संशोधन की प्रक्रिया पर विचार

न्यायमूर्ति गवई ने भारतीय संविधान को "स्थिर" नहीं मानते हुए कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर का मानना था कि इसे विकसित और जीवंत दस्तावेज़ होना चाहिए। उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन का प्रावधान करता है। गवई ने कहा कि एक ओर, डॉ. अंबेडकर की आलोचना की गई कि संविधान में संशोधन करने की शक्तियां बहुत उदार हैं, जबकि दूसरी ओर, कुछ संशोधनों के लिए आधे राज्यों और संसद के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, जिससे संशोधन करना कठिन हो जाता है।