भारत के दानवीरों की नई लहर: 2025 में 10,380 करोड़ रुपये का दान
भारत के उदार दानदाताओं की सूची
मुकेश अंबानी और गौतम अडानी
एडेलगिव हुरुन इंडिया की 2025 की परोपकारिता सूची के अनुसार, भारत के प्रमुख दानदाताओं ने इस वर्ष कुल 10,380 करोड़ रुपये का दान किया है। इस सूची में 191 दानवीर शामिल हैं, जिनमें 12 नए नाम भी शामिल हैं। पिछले तीन वर्षों में दान में 85% की वृद्धि हुई है, जो देश में परोपकारिता की बढ़ती संस्कृति को दर्शाता है। एचसीएल टेक्नोलॉजीज के संस्थापक शिव नादर और उनका परिवार 2,708 करोड़ रुपये के वार्षिक दान के साथ लगातार चौथी बार सबसे बड़े दानदाता बने हैं। उन्होंने मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को पीछे छोड़ दिया है। शिव नादर का दैनिक दान लगभग 7.4 करोड़ रुपये है, जो सालाना 26% की वृद्धि दर्शाता है।
इस सूची के शीर्ष 10 दानदाताओं ने मिलकर 5,834 करोड़ रुपये का दान किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 26% अधिक है और कुल दान का 56% हिस्सा है। इस वर्ष हिंदुजा परिवार, सुधीर और समीर मेहता, और साइरस व अदार पूनावाला पहली बार शीर्ष 10 में शामिल हुए हैं। मुकेश अंबानी और उनका परिवार 626 करोड़ रुपये के योगदान के साथ दूसरे स्थान पर हैं। उनका परोपकार शिक्षा, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य देखभाल, महिला सशक्तिकरण और विरासत संरक्षण में फैला हुआ है। बजाज परिवार ने 446 करोड़ रुपये दान देकर तीसरा स्थान प्राप्त किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 27% की वृद्धि है। उनकी फाउंडेशनें ग्रामीण भारत में सामाजिक और आर्थिक विकास पर काम कर रही हैं.
अन्य प्रमुख दानदाता
कुमार मंगलम बिड़ला और उनका परिवार चौथे स्थान पर हैं, जिन्होंने 440 करोड़ रुपये का दान दिया है, जिसमें से लगभग 20% राशि उनकी निजी संपत्ति से आई है। उनकी परोपकारी गतिविधियाँ शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, महिला सशक्तिकरण और खेल को बढ़ावा देती हैं। नंदन नीलेकणी 365 करोड़ रुपये के वार्षिक दान के साथ छठे स्थान पर हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19% अधिक है। नीलेकणी का योगदान सार्वजनिक भलाई, प्रणाली विकास और नवाचार को समर्थन देता है। हिंदुजा परिवार 298 करोड़ रुपये के साथ सातवें स्थान पर है, और उनकी फाउंडेशन स्वास्थ्य, शिक्षा और स्थायी आजीविका कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करती है.
इस वर्ष, 66 वर्षीय रोहिणी नीलेकणी सबसे उदार महिला दानदाता के रूप में उभरीं, जिन्होंने 204 करोड़ रुपये का दान दिया और शिक्षा तथा सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में सक्रिय हैं। सुधीर और समीर मेहता ने 189 करोड़ रुपये का दान देकर पहली बार शीर्ष 10 में प्रवेश किया, जबकि साइरस एस. पूनावाला और अदार पूनावाला ने 173 करोड़ रुपये का योगदान दिया।
परोपकारिता का बढ़ता दायरा
भारत में परोपकारिता का दायरा लगातार बढ़ रहा है। शीर्ष 25 दानदाताओं ने पिछले पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का योगदान दिया है, यानी औसतन 46 करोड़ रुपये प्रतिदिन। शीर्ष 25 में आने की न्यूनतम सीमा 2014 से 180% बढ़ चुकी है, जबकि शीर्ष 10 में प्रवेश की सीमा 2020 के 74 करोड़ से बढ़कर 173 करोड़ रुपये हो गई है। प्रति व्यक्ति औसत दान भी 2024 के 43 करोड़ से बढ़कर 2025 में 54 करोड़ रुपये हो गया है। उच्च मूल्य वाले दान में भी तेजी आई है; 100 करोड़ रुपये सालाना दान करने वालों की संख्या 2018 में केवल 2 थी, जो अब 18 हो गई है। इसी तरह, 33 दानदाता 50 करोड़ रुपये से अधिक दान करते हैं, और 70 लोग 20 करोड़ रुपये से ऊपर की श्रेणी में आते हैं.
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि मणिपाल ग्रुप के चेयरमैन रंजन पई का व्यक्तिगत दान 160 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जिससे वे भारत के शीर्ष 5 सबसे बड़े व्यक्तिगत दानदाताओं में शामिल हो गए हैं। हरीश और बीना शाह के दान में 77% की वृद्धि देखी गई है, और इस वर्ष उनका कुल योगदान 137 करोड़ रुपये रहा है। इन्फोसिस परिवार, जिसमें नंदन नीलेकणी, रोहिणी नीलेकणी, क्रिस गोपालकृष्णन, के. दिनेश और कुमारी शिबुलाल शामिल हैं, ने इस वर्ष कुल मिलाकर 850 करोड़ रुपये से अधिक दान किया है, जो किसी एक कॉर्पोरेट समूह की ओर से दिया गया सबसे बड़ा सामूहिक योगदान है.