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भारत के 10 सबसे भ्रष्ट विभाग: एक विस्तृत रिपोर्ट

भारत में भ्रष्टाचार की समस्या गंभीर होती जा रही है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में 10 सबसे भ्रष्ट विभागों की सूची सामने आई है, जिसमें पुलिस, राजस्व, और शिक्षा विभाग शामिल हैं। यह रिपोर्ट जनता की शिकायतों और विभिन्न संस्थाओं की जांच पर आधारित है। जानें इन विभागों पर लगे आरोप और भ्रष्टाचार के स्तर के बारे में।
 

भारत के भ्रष्ट विभागों की सूची


हाल ही में भारत में सबसे भ्रष्ट माने जाने वाले 10 विभागों की एक सूची जारी की गई है। यह सूची जनता की शिकायतों, मीडिया रिपोर्टों, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और लोकपाल/लोकायुक्त जैसी संस्थाओं की रिपोर्ट पर आधारित है। NCIB ने इस सूची को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया है।


इस सूची में पहले स्थान पर पुलिस विभाग है, जिस पर रिश्वतखोरी, फर्जी मामलों का निर्माण, FIR दर्ज न करना, सड़क पर चेकिंग के दौरान अवैध वसूली, और न्याय के बदले पैसे मांगने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।


दूसरे स्थान पर राजस्व विभाग है, जहां जमीन की फर्जी रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज, और नामांतरण में रिश्वत लेने के आरोप हैं।


तीसरे स्थान पर नगर निगम/नगर पालिका का नाम है, जो भवन नक्शा पास करने, सफाई व्यवस्था में लापरवाही, और अवैध निर्माण को बढ़ावा देने के लिए रिश्वत मांगने के आरोपों का सामना कर रहा है।


चौथे स्थान पर ग्राम पंचायत/ब्लॉक स्तर का विभाग है, जहां प्रधानमंत्री आवास, शौचालय योजना, और राशन कार्ड में गड़बड़ी के आरोप हैं।


पांचवें स्थान पर बिजली विभाग है, जो मीटर रीडिंग में हेराफेरी, फर्जी बिलिंग, और कनेक्शन में देरी के लिए जाना जाता है।


छठा स्थान सड़क परिवहन विभाग (RTO) का है, जहां बिना टेस्ट के ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने और अनफिट वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने के आरोप हैं।


सातवें स्थान पर सरकारी अस्पताल/स्वास्थ्य विभाग है, जहां दवा आपूर्ति में भ्रष्टाचार और डॉक्टरों की अनुपस्थिति की शिकायतें हैं।


शिक्षा विभाग आठवें स्थान पर है, जहां शिक्षक भर्ती में घोटाले और फर्जी उपस्थिति के मामले सामने आए हैं।


नौवें स्थान पर आवास एवं शहरी विकास विभाग है, जो निर्माण ठेके और टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा है।


दसवें स्थान पर कर विभाग (Income Tax, GST) है, जहां फर्जी रिटर्न और व्यापारियों से अवैध वसूली के आरोप हैं।


यह ध्यान देने योग्य है कि भ्रष्टाचार का स्तर विभिन्न राज्यों और जिलों में भिन्न होता है। यह केवल अधिकारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि बिचौलियों और स्थानीय नेताओं की भूमिका भी इसमें महत्वपूर्ण होती है।